अभिज्ञान शाकुन्तलम् पूर्ण हिंदी [PDF] Abhigyan Shakuntalam PDF
अभिज्ञान शाकुन्तलम् पूर्ण हिंदी [PDF] Abhigyan Shakuntalam PDF
Abhigyan Shakuntalam: महाकवि कालिदास द्वारा कई तरह की रचनाएं की गई है, जिसमें से उन्होंने कई विश्व विख्यात नाटक की रचना की है. अभिज्ञान शकुंतलम भी उन्हीं का एक नाटक है. इसका अनुवाद आज के समय में सभी विदेशी और हिंदी भाषा में हो चुका है. इसमें राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुराने विवाह तथा पुनर्मिलन की एक सुंदर कहानी को दर्शाया गया है.
अभिज्ञान शकुंतलम
इस नाटक में वर्णित की गई कहानी महाभारत की कहानी से थोड़ी भिन्न है, इसमें कालिदास द्वारा कुछ वृतांत कथा में जोड़कर उसे रोचक और रोमांचक बना दिया गया है. राजा दुष्यंत का कटाव आश्रम में आने से लेकर उनका शकुंतलम से गंधर्व विवाह तक की कथा महाभारत में आपको मिलती है. इस कहानी में राजा दुष्यंत विदा लेते समय शकुंतला के अनुरोध पर उसको यार स्वरूप राजेश अंगूठी भी प्रदान करता है और सीधे अपने छात्रों की सेना लाने के लिए भेजने का वचन देता है.
इसका कथानक महाभारत के आदि पर्व के शकुन्तलोपाख्यान से लिया गया है। कण्व के माध्यम से एक पिता का पुत्री को दिया गया उपदेश आज 2,000 वर्षों के बाद भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना उस समय में था। भारतीय आलोचकों ने ’काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला’ कहकर इस नाटक की प्रशंसा की है। भारतीय आलोचकों के समान ही विदेशी आलोचकों ने भी इस नाटक की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है। जब सन् 1791 में जार्जफ़ोस्टर ने इसका जर्मनी में अनुवाद किया, तो उसे देखकर जर्मन विद्वान् गेटे इतने गद्गद हुए कि उन्होंने उसकी प्रशंसा में एक कविता लिख डाली थी।
अभिज्ञान शकुंतलम की क्या विशेषता है?
अभिज्ञान शकुंतलम की कथा का विषय, पात्रों के चरित्र का चित्रात्मक वर्णन, सुन्दर संवाद, इसकी काव्य-सौंदर्य से परिपूर्ण उपमाएँ तथा जगह-जगह पर सम्मिलित समयानुकूल सूक्तियाँ; और इन सबसे बढ़कर अलग-अलग प्रकरणों की ध्वन्यात्मकता इतनी आश्चर्यजनक है, जब भी इसे कोई पढता है, तो उसे यह काफी रोचक लगती है, आप भी इसको यहा पर हिंदी में पढ़ सकते है.
अभिज्ञान का सर्वश्रेष्ठ अंक कौन सा है?
अभिज्ञानशाकुन्तलम् कवि का सर्वश्रेष्ठ नाटक है। इसमें सात अंक है। इसके सात अंको में दुष्यन्त तथा शकुन्तला के मिलन, वियोग तथा पुर्नमिलन का सुन्दर वर्णन है ।
अभिज्ञान शकुंतलम कौन सी विधा है?
इस शास्त्रीय नाटक का मंचन दुनिया के विभिन्न हिस्सों में किया गया है। इसका कई वैश्विक भाषाओं में अनुवाद भी किया गया है। इसके निर्माण के सदियों बाद भी, यह अभी भी साहित्यिक पूर्णता का एक मोहक टुकड़ा बना हुआ है। अभिज्ञान शाकुंतलम साहित्यिक पूर्णता है!
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