अनुशासन पर अनुच्छेद | Article on Discipline in Hindi
अनुशासन पर अनुच्छेद | Article on Discipline in Hindi
Article on Discipline: अनुशासन का अर्थ है-आत्मानुशासन अर्थात् स्वतः प्रेरणा से शासित होना। प्रकृति के समस्त कार्य व्यापार अनुशासन की सूचना देते हैं। निश्चित समय पर सूर्योदय और सूर्यास्त का होना, पृथ्वी की दैनिक और वार्षिक गतियाँ, ऋतु परिवर्तन, ये सब नियमानुसार होते हैं। जब प्रकृति बाढ़, भूकंप आदि के रूप में अपना अनुशासन भंग करती है, तब प्रलय की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। केवल प्रकृति ही नहीं अनुशासन की आवश्यकता प्रत्येक के लिए है। अनुशासनहीनता अराजकता को जन्म देती है और अराजकता देश और जाति को गुलाम बना देती है।
अनुशासन जीवन के विकास और सफलता की कुंजी है। प्रकृति भी एक अनुशासन में बँधी है। समय पर सूर्य उदित व अस्त होता है, एक क्रम से ऋतुएँ आती-जाती हैं, ज्वार-भाटां के बीच भी सागर मर्यादित रहता है, एक निश्चित गति से पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है, अनगिनत ग्रह-उपग्रह सौरमंडल में घूमते हैं। यदि एक क्षण के लिए भी यह व्यवस्था शिथिल हो जाए तो सृष्टि में महाप्रलय का दृश्य उपस्थित हो जाए।
अनुशासन क्या है?
अनुशासन सफलता की कुंजी है- यह किसी ने सही कहा है । अनुशासन मनुष्य के विकास के लिए बहुत आवश्यक है । यदि मनुष्य अनुशासन में जीवन-यापन करता है, तो वह स्वयं के लिए सुखद और उज्जवल भविष्य की राह निर्धारित करता है ।
मनुष्य द्वारा नियमों में रहकर नियमित रूप से अपने कार्य को करना अनुशासन कहा जाता है । यदि किसी के अंदर अनशासनहीनता होती है तो वह स्वयं के लिए कठिनाईयों की खाई खोद डालता है । विद्यार्थी हमारे देश का मुख्य आधार स्तंभ है ।
यदि इनमें अनुशासन की कमी होगी, तो हम सोच सकते हैं कि देश का भविष्य कैसा होगा । विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व होता है । अनुशासन के द्वारा ही वह स्वयं के लिए उज्जवल भविष्य की संभावना कर सकता है । यदि उसके जीवन में अनुशासन नहीं होगा, तो वह जीवन की दौड़ में सबसे पिछड़ जाएगा ।
उसकी अनुशासन हीनता उसे असफल बना देगी । विद्यार्थी के लिए अनुशासन में रहना और अपने सभी कार्यों को व्यवस्थित रूप से करना बहुत आवश्यक है । यह वह मार्ग है जो उसे जीवन में सफलता प्राप्त करवाता है । विद्यार्थियों को बचपन से ही अनुशासन में रखना चाहिए ।
विद्यार्थियों के लिए अनुषासन
विद्यार्थी को चाहिए कि प्रतिदिन प्रात:काल उठकर व्यायाम करे, अध्यापन करे, स्नान आदि करे और विद्यालय के लिए शीघ्र ही तैयार हो जाए । समय पर विद्यालय जाए । घर आकर समय पर भोजन करे, समय पर अध्यापन कार्य और खेलने भी जाए ।
रात्रि के भोजन के पश्चात समय पर सोना भी विद्यार्थी के लिए उत्तम रहता है । इस तरह का व्यवस्थित जीवन-शैली उसे तरोताजा रखती है और जीवन में स्वयं को सदृढ़ भी रखती है । यदि आँखें उठा कर देखा जाए तो अनुशासन हर रूप में विद्यमान है ।
सूर्य समय पर उगता और समय पर अस्त हो जाता है । जीव-जन्तु भी इसी अनुशासन का पालन करते हुए दिखाई देते हैं । पेड़-पौधों में भी यही अनुशासन व्याप्त रहता है । घड़ी की सुई भी अनुशासन का पालन करे हुए चलती है । ये सब हमें अनुशासन की ही शिक्षा देते हैं ।
यदि दृष्टि डाली जाए तो समाज में चारों तरफ अनुशासनहीनता दिखाई देती है । यही कारण है कि देश की प्रगति और विकास सही प्रकार से हो नहीं पा रहा है । यदि विद्यार्थियों में अनुशासन नहीं होगा तो समाज की दशा बिगड़ेगी और यदि समाज की दशा बिगड़ेगी तो देश कैसे उससे अछुता रहेगा ।
हमें चाहिए कि विद्यालयों में अनुशासन पर जोर देना चाहिए । विद्यार्थियों का मन चंचल और शरारती होता है । अनुशासन उनके चंचल मन को स्थिर करता है । यह स्थिरता उन्हें जीवन के संघर्ष में दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ने में सहायक होती है । यह सब अनुशासन के कारण ही संभव हो पाता है ।
100 शब्दों में अनुशासन पर अनुच्छेद
ठीक ही कहा गया है कि जीवन में अनुशासित होना जरूरी है। जब व्यक्ति अनुशासित जीवन व्यतीत करता है तो वह सफलता का आसान रास्ता तय करता है। वे खुशी और एक सुंदर भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण विकसित करेंगे। अनुशासित होना एक निर्धारित दैनिक दिनचर्या का अभ्यास है जो एक व्यक्ति को समयनिष्ठ और कड़ी मेहनत करने में मदद करता है। एक व्यक्ति को बचपन से ही अनुशासित होने का मतलब सिखाया जाता है। भले ही अनुशासन के लिए बहुत प्रयास करना पड़ता है, अनुशासित जीवन के लाभ इसे एक सार्थक प्रयास बनाते हैं।
150 शब्दों में अनुशासन पर अनुच्छेद
अनुशासन को नियमों के एक समूह का पालन करने या पालन करने के रूप में वर्णित किया गया है। जब हम उन नियमों का पालन करते हैं तो हमारा जीवन अधिक व्यवस्थित हो जाता है। नियमों के अनुसार काम करने में बहुत मज़ा आता है और सब कुछ सामान्य और सीधा हो जाता है। इसलिए विद्यालय जैसे संस्थानों में अनुशासन बनाए रखने का दृढ़ प्रयास किया जाता है। एक अनुशासित व्यक्ति उचित प्राधिकारी के प्रति आज्ञाकारी होता है और उसका स्वशासी व्यवहार भी होता है। अनुशासित होना जीवन के सभी पहलुओं में आवश्यक है और हर प्रयास के लिए आवश्यक है। किसी भी परियोजना में सहयोग करना सभी के लिए आवश्यक है। यदि हम अपने वरिष्ठों के निर्देशों और नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो हमें चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और हमारे प्रयास विफल हो सकते हैं। अपने दैनिक दिनचर्या को बनाए रखना जैसे सुबह जल्दी उठना, आवश्यकतानुसार पानी पीना और अपना दिन शुरू करने से पहले फ्रेश होना – सभी एक अनुशासित जीवन जीने के लिए खाते हैं।
200 शब्दों में अनुशासन पर अनुच्छेद
अनुशासन नियमों, सीमाओं और व्यवहार के पैटर्न के संग्रह को संदर्भित करता है जिसका पालन किया जाना चाहिए। जब इन कारकों को एकीकृत और उपयोग किया जाता है, तो वे जीवन में घटनाओं के सामाजिक और व्यक्तिगत क्रम को बनाए रखने में सहायता करते हैं। छोटी उम्र से ही घर में अनुशासन का विकास किया जा सकता है। नतीजतन, यह जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करते हुए फैलता और विकसित होता है। व्यक्तिगत अनुशासन में नियमित रूप से सोने, अच्छा खाना खाने, व्यायाम करने, जुनून या रुचि का पीछा करने और नियमित आधार पर खेल में भाग लेने जैसी चीजें शामिल हैं। सामाजिक स्थितियों, बैठकों या गतिविधियों में एक निश्चित तरीके से व्यवहार करने को सामाजिक अनुशासन कहा जाता है। दूसरी ओर, व्यावसायिक अनुशासन, अन्य बातों के अलावा, ज्यादातर समय प्रबंधन, समय सीमा को पूरा करने, वरिष्ठों को सही ढंग से अभिवादन करने और स्वस्थ संबंधों को बनाए रखने पर जोर देता है। अनुशासन समाज का एक अटूट पहलू है, और इसकी भूमिका हमारे शिक्षण संस्थानों में शुरू होती है। आजकल लोगों को अक्सर समय का ध्यान नहीं रहता है और उन्हें अनुशासित जीवन शैली बनाए रखने के लिए बहुत प्रयास करने चाहिए। अनुशासित जीवन शैली को बनाए रखने के विभिन्न तरीके नियमों और दिशानिर्देशों के बारे में जागरूक होना, सहकर्मियों के साथ समन्वय करना, व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन को अलग रखना और दोनों को बनाए रखना आदि हैं।