अष्टांग हृदयम पुस्तक हिंदी पीडीएफ | Ashtanga Hridayam PDF in Hindi
अष्टांग हृदयम पुस्तक हिंदी पीडीएफ | Ashtanga Hridayam PDF in Hindi
Ashtanga Hridayam: हिंदू धर्म में कई ऐसे ऋषि हुए हैं, जिन्होंने चिकित्सा क्षेत्र में भी कई ग्रंथों की स्थापना की है, उसी में से एक है अष्टांग हृदय.
अष्टांग हृदय क्या है?
अष्टांग हृदय संहिता आयुर्वेद के आठ भागों से संबंधित होती है जो कि, मनुष्य के रोगों और रोगों की चिकित्सा को ध्यान में रखकर लिखी गई है, इसमें चिकित्सा शरीर के अंग आंख नाक कान व गला आदि के विषय में लोगों का विज्ञान बताया गया है. इसके साथ ही इसमें सर्जरी के विषय में भी यहां पर देखने को मिलता है. इस तरह से अष्टांग हृदय के अंदर आपको कुल 8 घंटे में मिलते हैं, जिसमें बाल चिकित्सा से लेकर कायाकल्प और मनोचिकित्सा भी शामिल है.
अष्टांग हृदय के जनक कोन है?
अष्टांग हृदय के जनक आचार्य वाग्भट्ट है, जोंहोने और भी कई तरह के ग्रंथो की रचना की है.
अष्टांग किस प्रकार का योग है?
अष्टांग हठ योग का एक बहुत ही गतिशील और पुष्ट रूप है, जो आसनों के एक निश्चित क्रम के साथ छह श्रृंखलाओं या स्तरों से बना है। यह विनयसा में निहित है, ऊर्जा और सांस पर ध्यान देने के साथ मुद्राओं के बीच बहने वाली गति। जबकि यह एक बहुत ही शारीरिक अभ्यास है, यह मानसिक स्पष्टता और आंतरिक शांति को भी बढ़ावा देता है।
अष्टांग हृदय में कितने अध्याय होते हैं?
अष्टांग हृदय में वेसे तो 120 अध्याय हैं, लेकिन इन्हें मुख्य छह खंडों में विभाजित किया गया हैं, प्रत्येक में अलग-अलग अध्याय हैं। चरक संहिता की तुलना में, अष्टांग हृदय और अष्टांग समागम दोनों ग्रंथों में उत्तरतंत्र है जो कई ईएनटी विकारों और उन बीमारियों को कवर करता है जिन्हें पहले के ग्रंथों में समझाया नहीं गया है।
अष्टांग योग की शुरुआत कहाँ से हुई?
इसी का एक अध्याय अष्टांग योग होता है, जिसकी शुरुआत मूल रूप से, अष्टांग योग टी. कृष्णमाचार्य द्वारा 20वीं शताब्दी की शुरुआत में अपने युवा ऊर्जावान छात्र के. पट्टाभि जोइस के लिए एक व्यक्तिगत अभ्यास के रूप में बनाया गया था। इसमें तेज गति वाले सूर्य नमस्कार आंदोलनों को भारतीय पहलवानों और जिम्नास्टों के अभ्यास से प्रभावित किया गया है, जिससे की शरीर की स्फूर्ति को प्राप्त किआ जा सकता है।
अष्टांग हृदयम पुस्तक हिंदी पीडीएफ | Ashtanga Hridayam PDF in Hindi
Download Link