अथर्ववेद क्या है?

अथर्ववेद इन हिंदी पीडीएफ डाउनलोड | Atharva Veda PDF in Hindi Download 

अथर्ववेद इन हिंदी पीडीएफ डाउनलोड | Atharva Veda PDF in Hindi Download

Atharva Veda: प्राचीन भारत में कई तरह के पवित्र साहित्य और वेद ,है जिनसे आपको धर्म की प्राप्ति होती है या हिंदुओं का आधारभूत धर्म ग्रंथ भी होता है। विश्व की सबसे प्राचीन साहित्य वेद ही माने जाते हैं। भारतीय संस्कृत में वेद सबसे प्राचीन ग्रंथों को सनातन धर्म का आधार होते हैं।

इनके माध्यम से आपको धर्म से संबंधित सभी तरह की जानकारियां प्राप्त होती है। अथर्वा ऋषि द्वारा लिखित अर्थ वेद में कुल 731 मंत्र पाए गए हैं, तथा 6000 मंत्र ऋग्वेद के मंत्रों से भी पुराना है। ऐतिहासिक दृष्टि से आर्थिक महत्व इस बात से भी है कि ,सामान्य मनुष्यों के अंधविश्वासों का विचारों का वर्णन इसमें देखने को मिल सकते है।

अथर्ववेद क्या है?

अथर्ववेद क्या है?

अथर्ववेद हिन्दू धर्म के चार पवित्र वेदों में से चौथा वेद है। अथर्ववेद ब्रह्मवेद भी कहलाता हैं। अथर्ववेद में देवताओं की स्तुति के साथ, विज्ञान, दर्शन और चिकित्सा के मंत्र भी हैं। इसमें कहा गया है कि जिस राज्य में अथर्ववेद जानने वाला विद्वान् शान्तिस्थापना के कर्म में निरत रहता है, वह राष्ट्र उपद्रव से रहित होकर लगातार उन्नति करता जाता था। वही वेद का ज्ञान महर्षि अंगिरा को भगवान ने सर्वप्रथम दिया था, फिर महर्षि अंगिरा ने वह ज्ञान ब्रह्मा को दिया था। इस वेद के स्वरूप व भाषा के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस का लेखन दूसरें वेदों से सबसे बाद में हुआ।

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अथर्ववेद का महत्व

अथर्ववेद के साथ साथ ग्रंथो में ॠग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद चारों का वैदिक धर्म की दृष्टि से बहुत बड़ा ही महत्व है। अथर्ववेद से ही आयुर्वेद में विश्वास किया जाने लगा था। अथर्ववेद में अनेक प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों का विवरण है। अथर्ववेद गृहस्थाश्रम के अंदर पति-पत्नी के विवाह के नियमों, मान-मर्यादाओं तथा कर्त्तव्यों का बहुत अच्छे तरीके से विवेचना करता है।

वेद की रचना

आपको बता दे की, अथर्ववेद की भाषा और स्वरूप के आधार पर ऐसा माना जाता है कि, इस वेद की रचना सबसे बाद में हुई थी। अथर्ववेद के दो पाठों, शौनक और पैप्पलद, में संचरित हुए लगभग सभी स्तोत्र ऋग्वेद के स्तोत्रों के छदों में रचित हैं। दोनो वेदों में इसके अतिरिक्त अन्य कोई समानता नहीं है। अथर्ववेद दैनिक जीवन से जुड़े तांत्रिक धार्मिक सरोकारों को व्यक्त करता है, इसका स्वर ऋग्वेद के उस अधिक पुरोहिती स्वर से भिन्न है, जो महान् देवों को महिमामंडित करता है और सोम के प्रभाव में कवियों की उत्प्रेरित दृष्टि का वर्णन करता है।

वेद की सामान्य जानकारी

ऋग्वेद ज्ञानकाण्ड है। यजुर्वेद कर्मकाण्ड है। सामवेद उपासनीकाण्ड है और अथर्ववेद विज्ञानकाण्ड है। भाष्यकार के शब्दों में ऋग्वेद मस्तिक का वेद है, यजुर्वेद हाथों का वेद है।

 

सामवेद हृदय का वेद है और अथर्ववेद उदर-पेट का वेद है। उदर विकारों से ही नाना प्रकार के विकार उत्पन्न होते हैं। इस वेद में नाना प्रकार की ओषधियों का वर्णन करके शरीर को नीरोग, स्वस्थ और शान्त रखने के उपायों का वर्णन है।

राष्ट्र में उपद्रव और अशान्ति होने पर राष्ट्र की सुरक्षा के लिए नाना प्रकार के भयंकरतम अस्त्र और शस्त्रों का वर्णन भी इस वेद में है। इसप्रकार यह युद्ध और शान्ति का वेद है। यही इस वेद का प्रमुख विषय है।

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अर्थवेद में बीस काण्ड, ७३१ सूक्त और ५९७७ मन्त्र हैं। सबसे छोटा सूक्त एक मन्त्र का है। एक-एक, दो-दो और तीन-तीन मन्त्रों के अनेक सूक्त हैं।

सबसे बड़ा सूक्त ८९ मन्त्रों का है, इस वेद को ब्रह्मवेद भी कहते हैं। इस वेद के अनेक सूक्तों में ब्रह्म परमेश्वर का हृदयहारी वर्णन है, जिसे पढ़ते-पढ़ते पाठक भावविभोर हो उठता है।

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