नैतिक कहानियाँ 2023, Best Moral Stories in Hindi for Student
नैतिक कहानियाँ 2023, Best Moral Stories in Hindi for Student
Best Moral Stories: नैतिक शिक्षा से जुड़ी हुई कई तरह की कहानियां होती है, जिनके माध्यम से बच्चों को काफी कुछ सिखाया जा सकता है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही नैतिक शिक्षा से जुड़ी हुई सबसे बेहतर कहानियों को बताने वाले हैं, जिसके लिए आप इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े।
हर कहानियों में आपको कुछ ना कुछ नीति शिक्षा से जुड़ी हुई बातें सीखने को मिलती है जो, लोग और दुनिया को समझने में मदद करती है। इनसे कुछ नितिका ने बहुत छोटी और बुनियादी होती है इसलिए पढ़ते समय आप इन कहानियों को ध्यान से पढ़ें। यह काफी रोचक और शिक्षाप्रद है कि जिन्हें पढ़कर आपको आनंद नैतिक शिक्षा भी मिलेगी इस इच्छा को प्रयोग करके आप जीवन में सफलता पा सकते हैं।
कहानियों का नेतिक क्या होता?
नैतिक कहानियां कई तरह की होती जिसके माध्यम से आप को अच्छी शिक्षा और जानकारियां मिलती है। नीति कहानियों के जरिए ही छोटे बच्चे अच्छी बातों को सीख सकते हैं, क्योंकि यह कहानी मजेदार और रोचक होती है इसलिए बच्चों को इसे सीखने को काफी कुछ मिलता है। बच्चे भी इसे जल्दी भूलते नहीं है और हमेशा याद रखते हैं और बताई हुई शिक्षा को अपने जीवन में उतारते हैं, नैतिक शिक्षा में बताई हुई कहानी काफी छोटी होती है लेकिन उनको पढ़ने से आपको एक उचित शिक्षा मिलती है।
हिन्दी की प्रथम कहानी कौन सी है?
आपको बता दे की, हिन्दी की पहली कहानी माधवराव सप्रे ने लिखी थी। एक टोकरी मिट्टी (टोकनी भर मिट्टी) नाम की यह कहानी छत्तीसगढ़ मित्र नाम की पत्रिका में अप्रैल 1901 के अंक में प्रकाशित हुई थी, इसे ही प्रथम कहानी कहा गया है।
नैतिक मूल्य कौन कौन से हैं?
मनुष्य के लिए नेतिक मूल्य सच्चाई, ईमानदारी, प्रेम, दयालुता, मैत्री आदि को नैतिक मूल्य कहा जाता है। सच्चाई को स्वतः साध्य मूल्य कहा जाता है। यह अपने आप में ही मूल्यपूर्ण है। इसका प्रयोग साधन की भांति नहीं किया जाता, बल्कि यह स्वतः साध्य है। इनको सभी को अपने जीवन में उतारना चाहिए।
Best Moral Stories in Hindi
एक अंधा भिखारी Moral stories in Hindi
एक बार एक युवक एक गली से गुजर रहा था, उसने देखा कि एक बूढ़ा व्यक्ति सड़क पर बैठा है और भीख मांग रहा है। बूढ़ा व्यक्ति उसके सामने रखें खाली कटोरे के साथ बैठा था।
और उस खाली कटोरे के पास एक कार्डबोर्ड था, कार्डबोर्ड में लिखा था “कृपया अंधे की मदद करें!”
उस युवक ने देखा, बहुत से लोग उस अंधे भिखारी के पास से गुजर रहे थे, फिर भी कोई उसे पैसा नहीं दे रहा था। युवक को बहुत बुरा लगा, कोई भी बूढ़ा व्यक्ति को मदद नहीं कर रहा है।
इसीलिए वह उस अंधा भिखारी के पास गया, और अपनी जेब से मार्कर पेन निकाल कर उस कार्डबोर्ड पर कुछ लिखा दिया, फिर अपने रास्ते पर चला गया।
अंधा भिखारी को पता था, कार्डबोर्ड पर कोई कुछ लिख कर गया है, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा, बस कुछ ही मिनटों में यह खाली कटोरा अब पैसा से भर गया था।
अंधा भिखारी ने एक अजनबी को रोका और उससे पूछा, कार्डबोर्ड पर क्या लिखा है? अजनबी ने जवाब दिया, “यह एक सुंदर दिन है, तुम देख सकते हो मैं नहीं देख सकता।”
नैतिक शिक्षा : अगर हम सही शब्दों का चयन करते हैं, तो हम लोगों के साथ सही मायने में जुड़ सकते हैं, और उनके विचार बदल सकते हैं।
2. बच्चे की क्षमताएक बार की बात है, एक छोटा बच्चा था जो पाँचवीं कक्षा में पढ़ता था, उनकी कक्षा में हर कोई सोचता था वह सबसे बेवकूफ बच्चों में से एक है। उनकी ग्रेट इतने कम थे कि वह खुद भी ऐसा ही सोचते थे।
उसकी मां जानती थी कि उसका लड़का स्कूल में पूरी क्षमता तक नहीं कर रहा है, इसलिए उसने तीन नियम बनाएं। (1) उसे सप्ताह में केवल एक दिन टीवी शो देखने की अनुमति है।
(2) उसे प्रतिदिन अपना होमवर्क पूरा करना था।(3) उन्हें प्रत्येक सप्ताह पुस्तकालय से दो किताब पढ़नी थी। बच्चा नया नियमों से निराश था फिर भी उन्हें नियमों को पालन करना पड़ा।
बच्चे अपनी विकास के पथ पर आगे बढ़ते रहे, और अपने स्कूल में एक नेता बन गए। बच्चे ने किताबें पढ़ना सीख लिया, और महसूस किया कि पढ़ाई प्यार से कर सकते हैं।
मां जानती थी उसका लड़का क्या है, उसने कम में समझौता नहीं करने का फैसला किया। उन्हें एक ऐसा तरीका दिया पाँचवीं कक्षा में बेवकूफ माना जाने वाला लड़का विश्व प्रसिद्ध दो सर्जन बन गया।
वह लड़का बेंजामिन करसन है, जो अब एक प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन। लेखक और राजनीतिज्ञ है।
नैतिक शिक्षा : सभी में क्षमता है, बस खुद पर विश्वास करना और उस क्षमता को पूरी तरह से उपयोग करना चाहिए।
बोलने से पहले सोचो
यह एक गर्मी का दिन था, रेलवे स्टेशन पर सभी लोग ट्रेन के आने का इंतजार कर रहे थे। भीड़ के बीच दोस्तों का एक समूह था जो छुट्टी पर गया था।
स्टेशन में आते ही दोस्तों का समूह ट्रेन को स्वागत करने के लिए जोर से आवाज उठाई, वह ट्रेन में बैठने से पहले, अपनी आयोजित सीट पाने के लिए दौड़ पड़े।
खाली सीट भरी हुई थी, और ट्रेन चलने के लिए सीटी बजा रही थी। 15 साल की एक युवा लड़के के साथ एक बूढ़ा व्यक्ति ट्रेन पकड़ने के लिए दौड़ता हुआ आया।
वह ट्रेन में घुस गया और ट्रेन चलने लगी. उसके पास के सीट पर दोस्त के समूह थी, लड़का सब कुछ देख कर हैरान था। उसने अपने पिता की प्रशंसा करते हुए कहा,
“पिताजी, ट्रेन चल रही है और चीजें पीछे की ओर बढ़ रही है,” उसके पिता मुस्कुराया, जैसे ही ट्रेन तेजी से आगे बढ़ने लगी लड़का फिर से चिल्लाया।
“पिताजी, पेड़ हरे रंग की है और सब बहुत तेजी से पीछे बढ़ रही है,” उनके पिता ने और मुस्कुराया। एक बच्चे की तरह, वह उत्साह और खुशी के साथ सब कुछ देख रहा था।
ट्रेन में बैठे हुए समूह के एक दोस्त ने उसका मजाक उड़ाया, और कहा “मुझे लगता है उसका बेटा पागल है” लड़के के पिता ने धैर्य के साथ उसे जवाब दिया।
“मेरा बेटा अंधा पैदा हुआ था, ऑपरेशन के बाद कुछ ही दिन पहले ही उन्हें दृष्टि मिली. वह अपने जीवन में पहली बार दुनिया को देख रही है।”
उसकी बात सुनकर दोस्त के समूह बहुत शांत हो गए, पिता और उनकी पुत्र से हाथ जोड़कर माफी मांगी।
नैतिक शिक्षा : हम सब को भगवान ने बनाया है, हमें किसी का रूप से मजाक नहीं करना चाहिए।
राजा और ऋषि
एक बार एक ऋषि रहते थे, जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते थे, एक बार वह शहर की एक सड़क से गुजर रहा था। रास्ते में उसे एक सिक्का मिला, साधु ने उसे उठाकर रख लिया।
ऋषि एक साधारण जीवन जीते थे, उनके पास उस सिक्के का कोई उपयोग नहीं था। इसीलिए उन्होंने सिक्के को किसी को देने के बारे में सोचा,
वह पूरे दिन रास्ते में घूमता रहा लेकिन उसे एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला, जिसे धन की जरूरत है। रात में वह एक विश्राम क्षेत्र में पहुंचे, और वहां अपनी रात बिताई।
सुबह उन्होंने देखा, एक राजा जो उस विश्राम क्षेत्र से गुजर रहा था। उसने ऋषि को देखा और अपने सैनिकों को वहां रुकने का आदेश दिया। राजा ने ऋषि को कहां,
“मैं दूसरे राज्य पर विजय पाने के लिए युद्ध पर जा रहा हूं, ताकि मेरे राज्यों का विस्तार हो सके, कृपया मुझे बिजयी होने का आशीर्वाद दें।” ऋषि ने सिक्के को निकाला और उसे राजा को दे दिया।
राजा उनसे प्रश्न किया, “तुमने मुझे यह सिक्का क्यों दिया?” कृषि मुस्कुराया और जवाब दिया, “महाराज आप अधिक हासिल करने के कारण युद्ध पर जा रहे हैं, और आप संतुष्ट नहीं है,
तो मुझे लगा आपको इस सिक्के का सबसे ज्यादा जरूरत है।” राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने ऋषि को धन्यवाद दिया, और युद्ध पर नहीं जाने का फैसला किया।
नैतिक शिक्षा : हमें उस चीज के साथ खुश रहना चाहिए जो हमारे पास है।
असामान्य परीक्षण
एक बार एक प्रोफेसर अपनी कक्षा में एक असामान्य परीक्षण दिया, उसने अपनी कुर्सी ऊपर उठाई और मेज पर रख दी।
अब प्रोफेसर बोर्ड पर लिखा, साबित करो यह कुर्सी मौजूद नहीं है, पूरी कक्षा आश्चर्यचकित और भ्रमित था।
फिर भी सभी छात्रों ने जटिल स्पष्टीकरण लिखना शुरु कर दिया। इन सब के बीच एक छात्रों था, जिसने एक मिनटों में परीक्षा को पूरा किया।
और उसने प्रोफेसर को पेपर दिया, जिससे उसके सहपाठियों और प्रोफेसर को आश्चर्यचकित कर दिया।
फिर प्रोफ़ेसर परीक्षाफल दिया, परीक्षा पूरी करने के लिए एक मिनट लेने वाले छात्र को सर्वश्रेष्ठ उत्तर देने का घोषणा किया गया।
नैतिक शिक्षा : हम बहुत सोचते हैं, कभी-कभी उत्तर सरल होते हैं।