पंचतंत्र की कहानी, बोलने वाली गुफा | Bolnewali Gufa Panchtantra
पंचतंत्र की कहानी, बोलने वाली गुफा | Bolnewali Gufa Panchtantra
Bolnewali Gufa: पंचतंत्र में हम सभी जानते हैं कि कई तरह की कहानियों का समावेश मिलता है और कई कहानियां शिक्षाप्रद होती है जिन्हें सुनकर और पढ़कर लोगों में शिक्षा प्राप्त होती है वही कहानियों को सबसे ज्यादा स्कूलों में बच्चों को पढ़ाया और सिखाया जाता है उसी तरह से आज हम आपको पंचतंत्र की एक ऐसी कहानी लेकर आए हैं जिसमें आपको मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में बुद्धि से काम लेने की शिक्षा मिलती है और उसका हल निकाला जा सकता है आज हम आपको बोलने वाली गुफा की कहानी बताने जा रहे हैं जिससे सभी बच्चों द्वारा काफी पसंद किया जाता है।
पंचतंत्र की कहानी: बोलने वाली गुफा
बहुत पुरानी बात है, एक घने जंगल में बड़ा-सा शेर रहता था। उससे जंगल के सभी जानवर थर-थर कांपते थे। वह हर रोज जंगल के जानवरों का शिकार करता और अपना पेट भरता था।
एक दिन वह पूरा दिन जंगल में भटकता रहा, लेकिन उसे एक भी शिकार नहीं मिला। भटकते-भटकते शाम हो गई और भूख से उसकी हालत खराब हो चुकी थी। तभी उस शेर को एक गुफा दिखी। शेर ने सोचा कि क्यों न इस गुफा में बैठकर इसके मालिक का इंतजार किया जाए और जैसे ही वो आएगा, तो उसे मारकर वही अपनी भूख मिटा लेगा। यह सोचते ही शेर दौड़कर उस गुफा के अंदर जाकर बैठ गया।
वह गुफा एक सियार की थी, जो दोपहर में बाहर गया था। जब वह रात को अपनी गुफा में लौट रहा था, तो उसने गुफा के बाहर शेर के पंजों के निशान देखे। यह देखकर वह सतर्क हो गया। उसने जब ध्यान से निशानों को देखा, तो उसे समझ आया कि पंजे के निशान गुफा के अंदर जाने के हैं, लेकिन बाहर आने के नहीं हैं। अब उसे इस बात का विश्वास हो गया कि शेर गुफा के अंदर ही बैठा हुआ है।
फिर भी इस बात की पुष्टि करने के लिए सियार ने एक तरकीब निकाली। उसने गुफा के बाहर से ही आवाज लगाई, “अरी ओ गुफा! क्या बात है, आज तुमने मुझे आवाज नहीं लगाई। रोज तुम पुकारकर बुलाती हो, लेकिन आज बड़ी चुप हो। ऐसा क्या हुआ है?”
अंदर बैठे शेर ने सोचा, “हो सकता है यह गुफा रोज आवाज लगाकर इस सियार को बुलाती हो, लेकिन आज मेरे वजह से बोल नहीं रही है। कोई बात नहीं, आज मैं ही इसे पुकारता हूं।” यह सोचकर शेर ने जोर से आवाज लगाई, “आ जाओ मेरे प्रिय मित्र सियार। अंदर आ जाओ।”
इस आवाज को सुनते ही सियार को पता चल गया कि शेर अंदर ही बैठा है। वो तेजी से अपनी जान बचाकर वहां से भाग गया।
कहानी से क्या सीख मिलती है –
मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में भी बुद्धि से काम लिया जाए, तो उसका हल निकल सकता है।
गुफा को देखकर शेर के मन में क्या विचार आया?
गुफा के अंदर बैठे शेर ने सोचा कि, “हो सकता है यह गुफा रोज आवाज लगाकर इस लोमड़ी को बुलाती है तभी वह अंदर आती है, लेकिन आज मेरे वजह से बोल नहीं रही है। कोई बात नहीं, आज मैं ही इसे पुकारता हूं।” यह सोचकर शेर ने जोर से आवाज लगाई, “आ जाओ मेरे प्रिय मित्र लोमड़ी। अंदर आ जाओ।”