संवाद लेखन क्या है, दो मित्रों के बीच संवाद उदाहरण सहित| Conversation between Two Friends
संवाद लेखन क्या है, दो मित्रों के बीच संवाद उदाहरण सहित| Conversation between Two Friends
Conversation between Two Friends: वार्तालाप एक ऐसा साधन होता है, जिसके माध्यम से यह कह दो या दो से अधिक व्यक्ति एक दूसरे के साथ किसी भी विचार या ज्ञान कोई दूसरे के साथ शेयर कर सकते हैं। इसके माध्यम से ही लोग एक दूसरे के साथ ज्ञान प्राप्त करते हैं। वहीं यदि दो दोस्तों या दो भाई बहन या दो औरतें आपस में बात कर रही है तो, उसे संवाद या फिर वार्तालाप कहा जाता है आज हम आपको संवाद के तरीके और संवाद करने के उदाहरण बताने वाले हैं। संवाद के माध्यम से आप उसे आसानी से एक दूसरे के साथ अपने विचारों और भावनाओं को रख सकते हैं।
संवाद की परिभाषा
सरल भाषा में कहे तो यह दो लोगों की आपस की बात-चीत को संवाद कहते हैं। संवाद लेखन रचना का एक आवश्यक अंग है। नाटक तथा उपन्यास और कभी-कभी कहानी में संवाद रचना का समावेश रहता है। रचना में इससे जीवंतता और सजीवता आती है।
यहां हम दो मित्रों के बीच संवाद के 4 उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। इन्हें पढ़कर, आपको इनके आधार पर स्वयं कुछ नये संवादों को लिखने का प्रयास करना चाहिए।
संवाद का उदाहरण
मैं अभी पुलिस को फ़ोन करता हूँ। दुकानदार – फ़ोन की बात छोड़ो, यह लो पुस्तकें, पैसे दो और जाओ। दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच की वार्तालाप को संवाद कहते हैं तथा इसे लिखने की प्रक्रिया में संवाद लेखन कहा जाता है।
संवाद लेखन का तरीका क्या होता है?
संवाद लेखन का तरीका होता है, इसमें हमें इन बातों पर भी ध्यान देना चाहिए कि वाक्य-रचना सजीव हो, भाषा सरल हो, कठिन शब्दों का प्रयोग कम-से-कम हो, संवाद के वाक्य बड़े न हों, संक्षिप्त और प्रभावशाली हो, मुहावरेदार भाषा काफी रोचक होती है और मुहावरों का सही जगह प्रयोग हो।
संवाद लेखन कितने प्रकार का होता है?
Samvad lekhan मुख्य रूप से चार भागो में बाटा गया है।
- सामान्य संवाद
- औपचारिक कार्य व्यापार के लिए संवाद
- विचार व्यक्त करने वाले संवाद
- भावनाएं व्यक्त करने वाली संवाद
संवाद लेखन की विशेषताएं
- अच्छे संवाद-लेखन की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं, जिसे आप अपने लिए समाहित कर सकते है।
- संवाद हमेशा सरल भाषा में लिखा होना चाहिए
- संवाद में क्रम और अर्थपूर्ण विचार होने चाहिए।
- यह देश,काल, व्यक्ति और विषय के अनुसार लिखा होना चाहिए।
- संवाद अधिक सजीव, रोचक और मनोरंजक होगा।
- संवाद का आरम्भ और अन्त मजेदार हो।
इस तरह से आप संवाद लिखने का अभ्यास कर सकते है, इससे उनमें अर्थों को समझने और सृजनात्मक शक्ति को जागृत करने का अवसर मिलता है। जिससे की बोलचाल की भाषा लिखने की प्रवृति जागती है।
Examples of Samvad Lekhan Between Two Friends
1. परीक्षा समाप्त होने के पश्चात् दो मित्रों के मध्य हुए संवाद का विवरण।
राधिका : कथिका, कैसा हुआ तुम्हारा हिंदी का प्रश्न-पत्र?
कथिका : मैं तो बहुत प्रसन्न हूं, क्योंकि मेरा प्रश्न-पत्र बहुत ही अच्छा हुआ और तुमने कैसे किया?
राधिका : मुझे 2 अंक का केवल एक प्रश्न स्पष्ट नहीं था, अतः मैं उसमें सही उत्तर न दे सकी।
कथिका : वह कौन-सा प्रश्न था ?
राधिका : जयशंकर प्रसाद की साहित्यिक सेवा का उल्लेख कीजिए। मैंने उनकी भाषा-शैली का वर्णन किया।
कथिका : तुम्हें प्रसाद जी की रचनाओं का एवं भाषा-शैली के संदर्भ में उनका योगदान बताना था।
राधिका : यही तो मैं समझ न पाई और मैंने उसका गलत उत्तर लिख दिया।
कथिका : यदि तुमने भाषा-शैली के क्षेत्र में प्रसाद जी की नवीनता बताई होगी तो यह साहित्य में उनका योगदान था, अतः एक अंक तो मिल जाएगा।
राधिका : चलिए, अब तो दूसरे प्रश्न-पत्र की तैयारी करें।
कथिका : हाँ चलें।
2. दो मित्रों व दोस्तों में अध्यापक के व्यवहार के विषय में संवाद।
पहला मित्र : मोहन! तुम क्यों रो रहे हो ?
दूसरा मित्र : मुझे हिंदी के शिक्षक ने कक्षा से बाहर निकाल दिया।
पहला मित्र : ऐसा क्यों हुआ।
दूसरा मित्र : मैं गृह-कार्य पूरा करके नहीं लाया था।
पहला मित्र : तो तुमने गृह-कार्य क्यों नहीं किया।
दूसरा मित्र : कल मैं फिल्म देखने लग गया और उसके बाद सो गया।
पहला मित्र : स्पष्ट है कि भूल तुम्हारी है। तुम्हें अपने कार्य के प्रति ईमानदार होना चाहिए।
दूसरा मित्र : मुझसे अपराध हो गया है। अब मैं क्या करूँ?
पहला मित्र : तुम उनसे क्षमा प्रार्थना करो। वे तुम्हें क्षमा कर देंगे।
दूसरा मित्र : ठीक है! मैं अभी क्षमा प्रार्थना करता हूँ।
3. भारतीय क्रिकेट टीम के प्रदर्शन के विषय में दो मित्रों के मध्य संवाद।
पहला मित्र : तुम क्या समझते हो कि आस्ट्रेलिया में हमारी टीम का प्रदर्शन संतोषजनक रहेगा।
दूसरा मित्र : इसमें संतोषजनक की बात नहीं है। सीधी बात अच्छे और बुरे प्रदर्शन की है।
पहला मित्र : तुम क्या कहना चाहते हो ?
दूसरा मित्र : स्पष्ट है, कि टीम जीतेगी तो प्रदर्शन श्रेष्ठ है अन्यथा हार तो होनी ही है।
पहला मित्र : कभी-कभी सीरीज़ बराबर भी तो रहती है।
दूसरा मित्र : यह तभी संभव होगा, जब भारतीय टीम विश्व विजेता आस्टेªलिय की शक्तिशाली टीम का एक रणनीति बनाकर अपनी क्षमता का पूरा प्रदर्शन करते हुए सामना करेगी।
पहला मित्र : यह बिल्कुल सत्य है। एक ओर गेंदबाज़ी में तीखापन तथा सटीकपन लाना होगा।
दूसरा मित्र : और दूसरी बात मैं बताता हूँ कि अच्छे रन बनाने का भार केवल तेंदुलकर या सौरभ गांगुली पर नहीं, अपितु पूरी टीम पर होना चाहिए।
पहला मित्र : फील्डिंग चुस्त हो तथा कोई भी कैच न छोड़े तो ऐसी कोई स्थिति नहीं हो सकती है कि भारतीय टीम आस्ट्रेलिया को हरा न सके।