महात्मा गांधी Essay | Mahatma Gandhi पर हिन्दी में निबंध Download
महात्मा गांधी Essay|Mahatma Gandhi पर हिन्दी में निबंध Download
Essay on Mahatma Gandhi in Hindi: महात्मा गांधी के बारे में हम सभी जानते ही हैं, भारत के सबसे महान नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाने जाते हैं। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है, जिनका जन्म 2 अक्टूबर 1970 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उसके बाद उन्होंने कई तरह की स्वतंत्रता लड़ाइयां में अपना अहम योगदान दिया है, उन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत को स्वतंत्र करवाने में भी कई अभियानों का नेतृत्व किया है और उन्होंने अहिंसक प्रतिरोध का इस्तेमाल करते हुए भारत की स्वतंत्रता में एक अहम योगदान भी दिया है।
महात्मा गांधी
महात्मा गांधी 1890 में इंग्लैंड से वकील बनकर भारत लौटे और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया, उन्होंने ब्रिटिश के खिलाफ आंदोलन लड़ाई जिसमें चंपारण आंदोलन खेड़ा आंदोलन नमक तोड़ो आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन मुख्य रूप से शामिल थे।
आज हम सभी जानते हैं कि, गांधीजी के सत्याग्रह के आगे अंग्रेजों को भी झुकना पड़ा था, जिसे लोग में हम आपको महात्मा गांधी के बारे में निबंध कैसे लिखा जाता है और महात्मा गांधी के बारे में वह सभी बातें बताने वाले ही इससे क्या महात्मा गांधी के बारे में सभी कुछ जान पाएंगे।
महात्मा गांधी के ऊपर निबंध कैसे लिखे?
स्कूल में विद्यार्थियों को अक्सर महात्मा गांधी के ऊपर निबंध लिखने के लिए आता है, लेकिन हम आपको बता दें कि इनके बारे में निबंध लिखने की आपके कुछ आवश्यक बातों की जानकारी होना आवश्यक है, तभी आप महात्मा गांधी के ऊपर सही तरीके से निबंध लिख पाएंगे। महात्मा गांधी पर निबंध लिखने के लिए आप को उनके बारे में कहीं चीजों के बारे में विस्तार से जानना होगा, जिसमें उनका जन्म स्थान की शिक्षा उनका देश में दिए गए योगदान के बारे में और आजादी के लिए उनके द्वारा निभाए गए कर्तव्य और उनके द्वारा किए गए कार्यों के बारे में भी आपको विस्तार से जानना होगा।
इसके साथ ही अंत में उनकी मृत्यु किस तरह से हुई है, इसके बारे में भी आपको जानकारी होना आवश्यक है, तभी आप महात्मा गांधी के ऊपर निबंध लिख सकते हैं। यहां पर हमने आपको महात्मा गांधी के ऊपर कुछ निबंध भी उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत किए हैं, जिनके माध्यम से आप आसानी से महात्मा गांधी पर निबंध लिख सकते हैं और परीक्षाओं में भी अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं।
महात्मा गांधी के जीवन का सिद्धांत
महात्मा गांधी के जीवन का एक ही सिद्धांत था कि देश में अहिंसा के साथ आजादी मिल सके, वहीं उन्होंने अपना जीवन सत्य की खोज और देश को समर्पित कर दिया है। उन्होंने अपने आंदोलन में सत्याग्रह कहा जिसका अर्थ है, सत्य के लिए अपील करना आग्रह करना या उस पर भरोसा करना। एक राजनीतिक आंदोलन सिद्धांत के रूप में उन्होंने सत्याग्रह का पहला शुद्धीकरण 1920 में किया था। इसे उन्होंने उस वर्ष सितंबर में भारतीय कांग्रेस के एक सत्र से पहले असहयोग पर संकल्प के रूप में उसे पेश भी किया है। उनके जीवन के सिद्धांत यही रहा है कि सत्य के मार्ग पर चलना और हिंसा से किसी भी समस्याओं का समाधान करना है।
महात्मा गांधी Essay
महात्मा गांधी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द)
प्रस्तावना
“अहिंसा परमो धर्मः” के सिद्धांत को नींव बना कर, विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से महात्मा गाँधी ने देश को गुलामी के जंजीर से आजाद कराया। वह अच्छे राजनीतिज्ञ के साथ ही साथ बहुत अच्छे वक्ता भी थे। उनके द्वारा बोले गए वचनों को आज भी लोगों द्वारा दोहराया जाता है।
महात्मा गाँधी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा दीक्षा
महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1867 को, पश्चिम भारत (वर्तमान गुजरात) के एक तटीय शहर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। आस्था में लीन माता और जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। 13 वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से करवा दिया गया था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से हुई, हाईस्कूल की परीक्षा इन्होंने राजकोट से दिया, और मैट्रीक के लिए इन्हें अहमदाबाद भेज दिया गया। बाद में वकालत इन्होंने लंदन से किया।
महात्मा गाँधी का शिक्षा और स्वतंत्रता में योगदान
महात्मा गाँधी का यह मानना था की भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं अपितु समाज के अधीन है। इसलिए महात्मा गाँधी भारतीय शिक्षा को ‘द ब्यूटिफुल ट्री’ कहा करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा। भारत का हर नागरिक शिक्षित हो यही उनकी इच्छा थी। गाँधी जी का मूल मंत्र ‘शोषण विहिन समाज की स्थापना’ करना था। उनका कहना था की 7 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए। शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो। साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता। शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है।
निष्कर्ष
बचपन में गाँधी जी को मंदबुद्धि समझा जाता था। पर आगे चल कर इन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। हम महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में सम्बोधित करते है और भारत की स्वतंत्रता में उनके योगदान के लिए सदा उनके आभारी रहेंगे।
निबंध – 2 (400 शब्द)
परिचय
देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता हैं।
बापू को ‘फादर ऑफ नेशन’ (राष्ट्रपिता) की उपाधि किसने दिया?
महात्मा गाँधी को पहली बार फादर ऑफ नेशन कहकर किसने संबोधित किया, इसके संबंध में कोई स्पष्ठ जानकारी प्राप्त नहीं है पर 1999 में गुजरात की हाईकोर्ट में दाखिल एक मुकदमे के वजह से जस्टिस बेविस पारदीवाला ने सभी टेस्टबुक में, रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार गाँधी जी को फादर ऑफ नेशन कहा, यह जानकारी देने का आदेश जारी किया।
महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन
निम्नलिखित बापू द्वारा देश की आजादी के लिए लड़े गए प्रमुख आंदोलन-
असहयोग आंदोलन
जलियांवाला बाग नरसंहार से गाँधी जी को यह ज्ञात हो गया था की ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है। अतः उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा। और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।
नमक सत्याग्रह
12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गाँधी जी द्वारा किये गए आंदोलनों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।
दलित आंदोलन
गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना हुई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।
भारत छोड़ो आंदोलन
ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के मुम्बई अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।
चंपारण सत्याग्रह
ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानो से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई थी। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया। और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।
निष्कर्ष
महात्मा गाँधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिस साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।