औपचारिक पत्र क्या है?

औपचारिक या अनौपचारिक पत्र कैसे लिखे? देख उदाहरण सहित Letter in Hindi |

औपचारिक या अनौपचारिक पत्र कैसे लिखे? देख उदाहरण सहित Letter in Hindi |

Formal or informal Latter: आज के इस लेख में हम आपको औपचारिक और अनौपचारिक पत्र के बारे में बताने जा रहे है। इसके साथ इसके कुछ उदाहरण भी आपको प्रदान करेंगे। औपचारिक और अनौपचारिक पत्र लेखन का काफी महत्व होता है और हम इसके माध्यम से आप पत्र लेखन को अपनेपन का भाव बिजल खा सकते हैं।

पत्र लेखन का ज्ञान होना काफी जरूरी होता है, क्योंकि अधिकारियों और सरकारी विभागों में सबसे ज्यादा पत्र लेखन के कार्य के माध्यम से ही कार्य आज भी किए जाते हैं। यह एक अधिकारी से दूसरे अधिकारी या फिर एक संस्था से दूसरे संस्था या फिर किसी व्यक्ति तक अपनी बात पहुंचाने का सबसे सटीक माध्यम होता है।

औपचारिक पत्र क्या है?

औपचारिक पत्र क्या है?

सबसे पहले हम औपचारिक पत्र को समझते है। औपचारिक पत्र वह होते हैं जो, ऐसे लोगों को लिखे जाते हैं जिनसे लिखने वाले का कोई पारिवारिक या व्यक्तिगत संबंध नहीं होता है। उन्हें इन पत्रों को लिखा जाता है। औपचारिक पत्र अधिकारियों को या वे विश्व विद्यालयों के प्रधानाचार्य को समाचार पत्र के संपादक को या फिर नौकर को पुस्तक विक्रेता या किसी व्यापारी को लिखा जाता है।

अनौपचारिक

अनौपचारिक पत्र ऐसे लोगों को लिखा जाता है, जिसमें लिखने वाले का कोई पारिवारिक या व्यक्तिगत संबंध भी हो सकता है और औपचारिक पत्र के दौरान कोई भाई अपनी बहन को पत्र लिख सकता है। या फिर कोई दादा दादी को पत्र लिखता है। मित्र अपने दूसरे मित्र को पत्र लिखता है, वहीं कई सगे संबंधियों को इस तरह के पत्र लिखे जाते हैं जो कि, हमारे घरेलू या फिर निजी कार्यों के लिए होते हैं।

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अनौपचारिक पत्र के अंग

पत्र चाहे औपचारिक हो या फिर अनौपचारिक सामान्यतः पत्र के कुछ अंग होते हैं, जिनका उपयोग पत्र के दौरान किया जाता है। इस तरह के पत्रों में दिनांक और पता लिखा होता है, वही संबोधन तथा अभिवादन शब्दावली का भी प्रयोग किया जाता है और वही पता की समाप्ति के निर्देश और हस्ताक्षर शामिल होते हैं।

अनौपचारिक पत्रों में महोदय / महोदय संबोधन शब्द के बाद अल्पविराम का प्रयोग नहीं किया जाता है, क्योंकि अगली पंक्ति में हमें अभिवादन के लिए कोई शब्द नहीं देना होता हैं।

अनौपचारिक पत्रों में अपने से बड़े के लिए नमस्कार, नमस्ते, प्रमाण जैसे अभिवादनों का प्रयोग होता है।

जब स्नेह, शुभाशीष, आर्शीवाद जैसे अभिवादनों का प्रयोग होता है तो मात्र संबोधन देखते ही हम समझा जाते हैं कि संबोधित व्यक्ति लिखने वाले से आयु में छोटा है। औपचारिक पत्रों में इस प्रकार के अभिवादन की आवश्यकता नहीं रहती।

औपचारिक या अनौपचारिक पत्र के उदाहरण

औपचारिक शिकायती पत्र

1. बिजली की समस्या के संबंध में शिकायती-पत्र

सेवा में,
कार्यपालक अभियंता
झारखंड विद्युत बोर्ड, सरोजनी नगर
राँची

विषयः अत्यधिक राशि के बिलों के संदर्भ में

महोदय,

मैं गत चार वर्षों से सरोजनी नगर में रह रहा हूं। मैं नियमित रूप से बिजली के बिल का भुगतान भी करता हूं। भुगतान किए गए सभी बिल मेरे पास सुरक्षित हैं। औसतन मेरे घर का बिल 800 रू. प्रति मास आता है। इस बार यह बिल 2200 रूपए का आ गया है। इसे देखकर मैं अत्यधिक परेशान हूं। मेरे घर में बिजली की खपत के किसी भी बिंदु पर कोई बढ़तरी नहीं हुई है। महोदय मुझे पर पिछली अवधि का कोई भुगतान भी शेष नहीं है। बिजली की दरों में कोई वृद्धि नहीं हुई है। अतः अतने अधिक बिल का कोई कारण मेरी समझ में नहीं आ रहा है।

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मैं उल्लेख करना चाहूंगा कि प्राप्त बिल पर ‘प्रोविजनल बिल’ लिखा हुआ है। बिना मीटर-रीडिंग के भेजे गए इस अत्यधिक राशि के बिल का भुगतान मेरे लिए संभव नहीं है। कृपया संशोधित बिल भेजें ताकि मैं समय पर भुगतान कर सकूं।

आशा है आप मेरे अनुरोध पर शीघ्र विचार करेंगे।

धन्यवाद सहित,
भवदीय

(हस्ताक्षर…………………….)
अमन वर्मा
16-डी, सरोजनी नगर, रांची
दिनांक 7 फरवरी, 2006

अनौपचारिक पत्र

1. माताजी को पत्र

950, सेक्टर-38, बोकारो
10 अक्टूबर, 2006

परमपूज्य माताजी,

चरण-वंदना।

कल आपका पत्र मिला, पढ़कर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि घर में सब सकुशल हैं। आपने पत्र में मुझे लिखा है कि मैं पढ़ाई के अतिरिक्त अन्य क्रिया-कलापों में भी भाग लूं, क्योंकि आज के परिवेश में अतिरिक्त क्रिया-कलापों का महत्वपूर्ण स्थान है। मैंने आपके निर्देशानुसार अपने विधालय की वाद-विवाद प्रतियोगिता तथा संगीत कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए नामांकन करवा दिया है तथा तैयारी भी आरंभ कर दी है। आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि विद्यालय की हॉकी टीम में भी मेरा चयन हो गया है। सहपाठियों के साथ मेरा अच्छा संपर्क स्थापित हो गया है। मेरी पढ़ाई भी ठीक प्रकार से चल रही है। स्वाति और दिव्या को मेरा बहुत-बहुत प्यार तथा पिताजी को सादर प्रणाम।

आपका प्रिय पुत्र
राहुल

2. छोटे भाई को पत्र

12/15, शास्त्री नगर, धनबाद
15 नवंबर, 2017
प्रिय धवल,
शुभाशीष।

तुम्हारे विद्यालय की ओर से प्रथम अवधि परीक्षा की अंक-तालिका आज ही मिली है। इसे पढ़कर अच्छा नहीं लगा, क्योंकि दो विषयों में तुम्हारे अंक संतोषजनक नहीं हैं। मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि तुम नियमित रूप से पढ़ाई नहीं कर रहे हो। तुम्हें यह बात तो ज्ञात ही है कि पिताजी का स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है, फिर भी वे किसी-न-किसी तरह तुम्हें पढ़ाई का खर्चा नियमित भिजवा रहे हैं।

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तुम्हारा भी कर्तव्य हो जाता है कि तुम मन लगाकर पढ़ाई करो। हमें तुम्हारी क्षमता पर पूरा विश्वास है। ऐसा लगता है कि तुम समय को ठीक प्रकार से नियोजित नहीं कर पा रहे हो।

स्मरण रखो, कठोर परिश्रम ही सफलता का मूलमंत्र है। समय का नियोजन इस प्रकार करो कि पढ़ाई के लिए भी समय रहे और अन्य गतिविधियों के लिए भी। बीता समय कभी लौटकर नहीं आता।

तुम स्वयं समझदार हो। हमें विश्वास है कि तुम भविष्य में शिकायत का अवसर नहीं दोगे।

शुभकामनाओं के साथ,
तुम्हारा शुभेच्छु
मनोज कुमार

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