गणेश चालीसा इन हिंदी PDF, Ganesh Chalisa | Free Download Hindi Lyrics PDF
गणेश चालीसा इन हिंदी PDF, Ganesh Chalisa | Free Download Hindi Lyrics PDF
Ganesh Chalisa: हिंदू धर्म के अनुसार विघ्नहर्ता श्री गणेश जी को प्रथम पूजनीय देवता का स्थान दिया गया है, जब भी किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत की जाती है और किसी भी देवी देवता का आह्वान किया जाता है, या कोई पूजा अर्चना या के लिए किया जाता है तो सबसे पहले श्री गणेश जी को याद किया जाता है और इन्हीं की पूजा आराधना के बाद ही दूसरा कोई कार्य शुरू होता है।
गणेश चालीसा
इसके गणेश जी की पूजा आराधना में श्री गणेश चालीसा का विशेष महत्व होता है। आज हम श्री गणेश चालीसा के पाठ से होने वाले फायदे और उसके लाभ के बारे में आपको बताएंगे। आइए अब आज के इस लेख में हम आप को गणेश चालीसा के महत्व को समझाते है।
गणेश चालीसा का महत्व
श्री गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए उनके पसंद की वस्तुओं को चढ़ाते हैं और साथियों की पूजा अर्चना करते हैं, ताकि वह खुश हो कर जल्द ही उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें। इसी में श्री गणेश जी को भी भी मोदक द्रुवा आदि बहुत पसंद है। इन सबके अलावा एक और भी चीजें जिससे आप श्री गणेश जी को आसानी से खुश कर सकते है। वही श्री गणेश चालीसा गणेश चालीसा का महत्व काफी अधिक है और गणेश चालीसा भगवान श्री गणेश के जन्म पर आक्रमण की महिमा का विस्तार से उल्लेख किया गया है, जिससे हम शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में भी उसे उतार सकते है।
गणेश चालीसा के नियमित पाठ करने से घर परिवार में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है, घर के सभी सदस्यों में आत्मविश्वास की भी जागृति होती है साथी एक नई उमंग का संचार होता है। श्री गणेश जी का पाठ करने से व्यक्ति को रिद्धि सिद्धि बुद्धि बल व ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।
गणेश चालीसा का लाभ –
घर में सुख शांति:-
यदि आपके घर में हमेशा तनाव बना रहता है और हर रोज लड़ाई झगडे होते रहते है तो गणेश चालीसा का पाठ आपको जरूर करना चाहिए यह घर मे सुख- संपन्नता आती है।
शत्रुओ का विनाश:-
यदि आपको शत्रु परेशान करते है, या किसी व्यक्ति की आप पर या आपके परिवार पर या फिर आपके व्यापर पर बुरी नजर है तो, श्री गणेश चालीसा का नित्य पाठ करने से गंभीर परेशानीयो में जीत मिलती है।
विवाह-शादी का निवारण
यदि आपकी की शादी समय पर नहीं हो रही या फिर कोई बाधा आ रही है तो, नित्य गणेश चालीसा का पाठ करने से वो बाधा सदा के लिए दूर हो जाती है। कोई भी मांगलिक कार्यक्रम हो बिना गणेश जी की पूजा के पूर्ण नहीं मन जाता है।
बुध दोष निवारण :-
कई बार लोगो को कुंडली में बुध दोष का सामना करना पड़ता है। बुध दोष की वजह से जीवन में आत्मविश्वास की कमी आती है। जो व्यक्ति Ganesh Chalisa का पाठ प्रतिदिन करता है उसके जीवन म आत्मविश्वास की कमी कभी भी नहीं होती है।
शिक्षा के क्षेत्र में सफलता
श्री गणेश चालीसा का नित्य पाठ करने से विद्यार्थियों का मन एकाग्रचित होता है। विद्यार्थी नई नई ऊंचाइयों को प्राप्त करते है। इससे आपको सफलता मिलने के chances बढ़ जायेंग।
धन की प्राप्ति:-
श्री गणेश रिद्धि सिद्धि के दाता है, अगर गणेश जी की कृपा हो जाये तो जीवन म कभी भी धन की कमी नहीं होती एवं धन के साथ साथ समाज एवं विश्व में प्रसिद्धि भी मिलती है। श्री गणेश चलिषा के पथ से व्यक्ति धन धान्य से परिपूर्ण होता है, रिद्धि सिद्धि का स्वामी होता है।
श्री गणेश चालीसा (Ganesh Chalisa)
जय गणपति सद्गुण सदन कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण जय जय गिरिजालाल॥
जय जय जय गणपति राजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥
जय गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्धि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजित मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित॥
धनि शिवसुवन षडानन भ्राता। गौरी ललन विश्व-विधाता॥
ऋद्धि सिद्धि तव चँवर डुलावे। मूषक वाहन सोहत द्वारे॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी। अति शुचि पावन मंगल कारी॥
एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रूपा।
अतिथि जानि कै गौरी सुखारी। बहु विधि सेवा करी तुम्हारी॥
अति प्रसन्न ह्वै तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
मिलहि पुत्र तुहि बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण यहि काला॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम रूप भगवाना॥
अस कहि अन्तर्धान रूप ह्वै। पलना पर बालक स्वरूप ह्वै॥
बनि शिशु रुदन जबहि तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥
सकल मगन सुख मंगल गावहिं। नभ ते सुरन सुमन वर्षावहिं॥
शम्भु उमा बहुदान लुटावहिं। सुर मुनि जन सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आए शनि राजा॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं। बालक देखन चाहत नाहीं॥
गिरजा कछु मन भेद बढ़ायो। उत्सव मोर न शनि तुहि भायो॥
कहन लगे शनि मन सकुचाई। का करिहौ शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास उमा कर भयऊ। शनि सों बालक देखन कह्यऊ॥
पड़तहिं शनि दृग कोण प्रकाशा। बालक शिर उड़ि गयो आकाशा॥
गिरजा गिरीं विकल ह्वै धरणी। सो दुख दशा गयो नहिं वरणी॥
हाहाकार मच्यो कैलाशा। शनि कीन्ह्यों लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाए। काटि चक्र सो गज शिर लाए॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण मन्त्र पढ़ शंकर डारयो॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्धि निधि वर दीन्हे॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी की प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन भरमि भुलाई। रची बैठ तुम बुद्धि उपाई॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे। नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई। शेष सहस मुख सकै न गाई॥
मैं मति हीन मलीन दुखारी। करहुं कौन बिधि विनय तुम्हारी॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। लख प्रयाग ककरा दुर्वासा॥
अब प्रभु दया दीन पर कीजै। अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥
दोहा
श्री गणेश यह चालीसा पाठ करें धर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै लहे जगत सन्मान॥
सम्वत् अपन सहस्र दश ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश॥
गणेश चालीसा इन हिंदी PDF