सम्पूर्ण गर्भ गीता PDF 2023 डाउनलोड Garbh Geeta PDF in Hindi
सम्पूर्ण गर्भ गीता PDF 2023 डाउनलोड Garbh Geeta PDF in Hindi
Garbh Geeta PDF in Hindi: दोस्तों हम सभी ने गीता तो जरूर पढ़ी है, और इसके बारे में काफी सुना भी होगा, लेकिन आज हम आपको गर्भ गीता के बारे में बताने जा रही गर्भ गीता ए काफी अनोखा ग्रंथ है जो कि, ऐसा ग्रंथ माना जाता है, जिसके माध्यम से जो भी इस ग्रंथ को पढ़ लेता है।
गर्भ गीता क्या है?
वह दोबारा से फिर घर और बस में नहीं आता है उसे जीवन मरण के चक्र से भी छुटकारा मिल जाता है। इसीलिए कहा जाता है कि, सभी को गर्भ गीता का अनुशीलन एक बार अवश्य करना चाहिए, साथ यह भी मान्यता है कि जो गर्भवती महिलाएं गर्भ गीता का श्रवण करती है, उसका गर्भस्थ शिशु अच्छे संस्कार वाला होता है और जन्म लेने के बाद एक आदर्श जीवन व्यतीत करता है।
ग्रन्थ में गर्भ गीता का पाठ करने के बारे में भी बताया गया है, गर्भ गीता में श्री अर्जुन और शिव भगवान श्री कृष्ण के बीच कई तरह के संवाद है, जिसमें उसमें कई रहस्य और गर्भ के समय कई चीजों को उजागर किया गया है।
गर्भ गीता पढने के लाभ
जिस तरह से कई वेदों और पुराणों में गर्भस्थ मां और शिशु के सही विकास के लिए वेदों का रहस्य बताया गया है, उसी तरह से गर्भ गीता में भी इसी तरह का संग्रहण आपको मिलता है। मां के गर्भ से ही शिशु का भविष्य बनता है। यह बात सत्य है, उनके हाथों में होता है कि, अच्छे संस्कारों को ग्रहण करें ताकि उसका जीवन भी सफल हो जाए मान्यता है कि, गर्भवती स्त्रियों को श्रीमद्भागवत गीता पढ़नी चाहिए क्योंकि इससे धार्मिक विचार महिलाओं के अंदर आते हैं और साथियों शिशु के लिए भी काफी जरूरी है। केवल यही नहीं बुजुर्ग की मानें तो श्रीमद्भागवत गीता पढ़ने से गर्भवती महिला का मन शांत रहता है और शिशु के अंदर अच्छे गुणों का विकास भी होता है।
दोस्तों हम सभी ने गीता तो जरूर पढ़ी है, और इसके बारे में काफी सुना भी होगा, लेकिन आज हम आपको गर्भ गीता के बारे में बताने जा रही गर्भ गीता ए काफी अनोखा ग्रंथ है जो कि, ऐसा ग्रंथ माना जाता है, जिसके माध्यम से जो भी इस ग्रंथ को पढ़ लेता है।
गर्भ गीता सार
श्रीकृष्ण कहते हैं कि: मन रूपी हाथी को नियंत्रित करने के लिए ज्ञान रूपी अंकुश की आवश्यकता होती है, भक्ति और ज्ञान को अभ्यास के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। अहंकार करने से मानव का जीवन नर्क के समान हो जाता है उसका मन सदैव व्याकुल ही रहता है तथा कभी शांत नहीं रहता।
अर्जुन पूछते हैं –‘‘ क्या कारण है कि किसी की पत्नि की मृत्यु अल्प आयु में ही हो जाती है तथा पिता के रहते पुत्र की मृत्यु हो जाती है।‘‘ श्री कृष्ण कहते हैं कि जो व्यक्ति कर्ज लेकर उसे नहीं चुकाता उसके दण्ड स्वरूप उसकी पत्नि की मृत्यु हो जाती है तथा जो किसी व्यक्ति की अमानत लेकर उसे नहीं लौटाता उसके बच्चे मर जाते हैं। ये बड़े भयंकर पाप हैं।
मनुष्य किस कारण से आजीवन रोगी रहता है? तथा किस कारण पशु योनी को प्राप्त होता है ?
श्री कृष्ण उत्तर देते हुए कहते हैं: ‘‘पार्थ जो मनुष्य कन्याओं तथा महिलाओं आदि को बेचने का व्यापार करता है वह भयंकर रोगों से पीड़ित रहता है तथा जो अभक्ष्य पदार्थाें का सेवन करता है तथा मदिरा पान कर दूसरों को प्रताड़ित करता है वह गधे का जन्म प्राप्त करता है। इसी प्रकार झूठी गवाही देने वाले अगले जन्म में स्त्री बनते हैं
जो भोजन का भोग भगवान को न लगाकर पहले स्वयं ग्रहण कर लेते हैं वे शूकर आदि की योनी में जन्म लेते हैं।
अर्जुन पूछते हैं – किन कारणों से इस जन्म में धनी तथा वाहन आदि के स्वामी बनते हैं?
श्री कृष्ण उत्तर देते हुए- जो मनुष्य उचित रीति-नीति से स्वर्ण दान करते तथा कन्या दान करते हैं वे इस जन्म में धनी हैं। वे व्यक्ति जिन्होंने कभी अन्नदान किया है वे रूपवान होते हैं तथा विद्या का दान करने वाले व्यक्ति विद्वान होते हैं। इसी प्रकार संतों की सेवा करने वाले धनवान तथा पुत्रवान होते हैं (गर्भ गीता)।
अर्जुन पूछते हैं – मनुष्य धन तथा सांसारिक मोह-माया में क्यों फंसा रहता है?
श्री कृष्ण कहते हैं कि- जब प्राणी मेरी कृपा से वंचित हो जाता है तब वह सांसारिक बंधनों के मोह में आसक्त हो जाता है। संसार के समस्त बंधन नाशवान हैं यही जानकर विवेकीजन इन बंधनों में फंसते नहीं हैं तथा दूर रहा करते हैं।
वे जानते हैं कि लाभ-हानि, जीवन-मरण, यश-अपयश तथा मान-सम्मान सभी कुछ ईश्वर के आधीन हैं संसार में घटने वाली प्रत्येक घटना परमात्मा की ईच्छा से ही घटती है।
यही कारण है कि विवेकीजन दुःख-सुख चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, समान भाव से रहते हैं। जो मनुष्य इन सांसारिक बंधनों से दूर रहकर धार्मिक स्थलों में जाकर प्रेम तथा भक्ति-भाव से मेरा दर्शन करता है उसका नाश नहीं होता।
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