गायत्री चालीसा का पढ़ने के फायदे

गायत्री चालीसा | Gayatri Chalisa Hindi PDF Download

गायत्री चालीसा | Gayatri Chalisa Hindi PDF Download

Gayatri Chalisa Hindi: हिंदू धर्म में कई तरह की चालीसा का पाठ किया जाता है, जिस तरह से व्यक्ति हनुमान चालीसा का पाठ करता है उसी तरह से मां देवी गायत्री माता के लिए गायत्री चालीसा का भी पाठ किया जाता है। मां गायत्री देवी की स्तुति लिखी गई है और इस चालीसा में उनके द्वारा कई चौपाइयों की रचना की गई है। यह चालीसा पढ़ने से जनजीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं, वही यह प्रकार की सिद्धि तथा धन समृद्धि लाने में भी सहायक होता है। कई लोग आज गायत्री चालीसा का पाठ करते ही ताकि वह सुख शांति और वैभव लक्ष्मी को प्राप्त कर सकें।

गायत्री चालीसा का पढ़ने के फायदे

गायत्री चालीसा का पढ़ने के फायदे

यह तो हम सभी जानते हैं कि, यह 40 रन मां गायत्री जी को समर्पित किया गया है, जिसमें देवी मां गायत्री जी की स्थितियां है। इस गायत्री चालीसा को पढ़ने के कई सारे फायदे हैं। यदि कोई व्यक्ति इसका नियमित रूप से पाठ करता है तो, उस व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और उसके जीवन में किसी तरह की कोई कष्ट और कठिनाइयां नहीं आती है।

इसके साथ ही गायत्री चालीसा पढ़ने से साधना में भी सफलता मिलती है। यह एक तरीके से आपके शरीर की रक्षा कवच की तरह कार्य करता है। इसलिए इसे ध्यान पूर्वक नियमित रूप से पढ़ा जाता है। इसके माध्यम से सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है, क्योंकि गायत्री मां आठ सिद्धियों और निधियों की दाता है, क्योंकि हर मनोकामना को पूर्ण करने में समर्थ है।

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गायत्री चालीसा उद्देश्य

जो गायत्री चालीसा का पाठ करता है, उसको इच्छा अनुसार फल की प्राप्ति होती है। वही उसे बल बुद्धि विद्या शांत स्वभाव मिलता है। साथ ही उनके धन समृद्धि प्रसिद्धि में भी लगातार तेजी से बढ़ोतरी होती है जो भी, गायत्री मां का ध्यान करिए चालीसा का पाठ करता है। उसके कई प्रकार के सुखों में वृद्धि हो जाती है और वह वैभव को प्राप्त करता है।

गायत्री चालीसा का संक्षिप्त अर्थ

मां गायत्री को शिव की कल्याण की तरह ही कल्याणकारी बताया गया है। गायत्री माता सभी भक्तों की कामना को पूरा करती है।  उनके गुणों को बताते हुए गायत्री चालीसा में बताया गया है कि, यह शांति है आप ही जागरण है और रचनात्मक के अखंड शक्ति स्वरुप है। वह सुखों को देने वाली और सिक्खों का पवित्र स्थल भी है। यदि आप गायत्री चालीसा का पाठ करते हैं तो, आपका स्मरण करने से इसके सभी विघ्न दूर होते हैं और सारे काम पूरे हो जाते हैं।

इसे तीनों लोगों की जननी बताया गया है, वहीं कलयुग में पापों का हरण करने के लिए मां गायत्री के 24 अक्षर का गायत्री मंत्र कलयुग में सबसे पवित्र माना गया है। इसके साथ ही माता के स्वरूप के बारे में भी चालीसा का जिक्र किया जाता है, यह सरस्वती लक्ष्मी का रूप भी है।

इसके साथ ही गायत्री मंत्र को मोहम्मद का दर्जा दिया गया है। वहीं गायत्री चालीसा के जब से भक्तों की सारी मनोकामनाएं दूर होती है और मुन्नी तपस्वी योगी राजा जो भी माता के समक्ष आता है, उनकी सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।

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मां गायत्री चालीसा…

ह्रीं श्रीं क्लीं मेधा प्रभा जीवन ज्योति प्रचंड ॥
शांति कांति जागृत प्रगति रचना शक्ति अखंड ॥1॥

जगत जननी मंगल करनि गायत्री सुखधाम ।
प्रणवों सावित्री स्वधा स्वाहा पूरन काम ॥2॥

भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी ।
गायत्री नित कलिमल दहनी ॥॥

अक्षर चौबीस परम पुनीता ।
इनमें बसें शास्त्र श्रुति गीता ॥॥

शाश्वत सतोगुणी सत रूपा ।
सत्य सनातन सुधा अनूपा ॥॥

हंसारूढ श्वेतांबर धारी ।
स्वर्ण कांति शुचि गगन-बिहारी ॥॥

पुस्तक पुष्प कमंडलु माला ।
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ॥॥

ध्यान धरत पुलकित हित होई ।

सुख उपजत दुख दुर्मति खोई ॥॥

कामधेनु तुम सुर तरु छाया ।
निराकार की अद्भुत माया ॥॥

तुम्हरी शरण गहै जो कोई ।
तरै सकल संकट सों सोई ॥॥

सरस्वती लक्ष्मी तुम काली ।
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली ॥॥

तुम्हरी महिमा पार न पावैं ।
जो शारद शत मुख गुन गावैं ॥॥

चार वेद की मात पुनीता ।
तुम ब्रह्माणी गौरी सीता ॥॥

महामंत्र जितने जग माहीं ।
कोउ गायत्री सम नाहीं ॥॥

सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै ।
आलस पाप अविद्या नासै ॥॥

सृष्टि बीज जग जननि भवानी ।
कालरात्रि वरदा कल्याणी ॥॥

ब्रह्मा विष्णु रुद्र सुर जेते ।
तुम सों पावें सुरता तेते ॥॥

तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे ।

जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे ॥॥

महिमा अपरम्पार तुम्हारी ।
जय जय जय त्रिपदा भयहारी ॥॥

पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना ।
तुम सम अधिक न जगमें आना ॥॥

तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा ।
तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेसा ॥॥

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जानत तुमहिं तुमहिं व्है जाई ।
पारस परसि कुधातु सुहाई ॥॥

तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई ।
माता तुम सब ठौर समाई ॥॥

ग्रह नक्षत्र ब्रह्मांड घनेरे ।
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे ॥॥

सकल सृष्टि की प्राण विधाता ।
पालक पोषक नाशक त्राता ॥॥

मातेश्वरी दया व्रत धारी ।
तुम सन तरे पातकी भारी ॥॥

जापर कृपा तुम्हारी होई ।
तापर कृपा करें सब कोई ॥॥

मंद बुद्धि ते बुधि बल पावें ।
रोगी रोग रहित हो जावें ॥॥

दरिद्र मिटै कटै सब पीरा ।
नाशै दुख हरै भव भीरा ॥॥

गृह क्लेश चित चिंता भारी ।
नासै गायत्री भय हारी ॥॥

संतति हीन सुसंतति पावें ।
सुख संपति युत मोद मनावें ॥॥

भूत पिशाच सबै भय खावें ।
यम के दूत निकट नहिं आवें ॥॥

जो सधवा सुमिरें चित लाई ।
अछत सुहाग सदा सुखदाई ॥॥

घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी ।
विधवा रहें सत्य व्रत धारी ॥॥

जयति जयति जगदंब भवानी ।
तुम सम ओर दयालु न दानी ॥॥

जो सतगुरु सो दीक्षा पावे ।
सो साधन को सफल बनावे ॥॥

सुमिरन करे सुरूचि बडभागी ।
लहै मनोरथ गृही विरागी ॥॥

अष्ट सिद्धि नवनिधि की दाता ।
सब समर्थ गायत्री माता ॥॥

ऋषि मुनि यती तपस्वी योगी ।
आरत अर्थी चिंतित भोगी ॥॥

जो जो शरण तुम्हारी आवें ।
सो सो मन वांछित फल पावें ॥॥

बल बुधि विद्या शील स्वभाउ ।
धन वैभव यश तेज उछाउ ॥॥

सकल बढें उपजें सुख नाना ।
जे यह पाठ करै धरि ध्याना ॥

दोहा

यह चालीसा भक्ति युत पाठ करै जो कोई ।
तापर कृपा प्रसन्नता गायत्री की होय ॥

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