Lines and Angles in Hindi – रेखाएँ और कोण
जैसा कि हम पहले भी पढ़ चुके हैं कि एक रेखा (lines) के खींचने के लिए न्यूनतम 2 बिंदुओं की आवश्यकता होती है। हम इस आर्टिकल (article) में , कोणों के उन गुणों का अध्ययन करेंगे जब दो रेखाएं (lines) परस्पर प्रतिचछेद करती हैं और कोणों (angles) उन गुणों को भी अध्ययन करेंगे , जब एक रेखा दो या अधिक समानांतर (parallel) रेखाओं को भिन्न-भिन्न बिंदुओं पर काटते हैं।
आप अपने दैनिक जीवन में समतल पृष्ठों के किनारों (edges) के बीच बने अनेक प्रकार के कोण देखते हैं। एक ही प्रकार के मॉडल को बनाने के लिए कोणों के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। यदि आपको कोई स्कूल प्रोजेक्ट का मॉडल बनाना हो जिसमें विभिन्न प्रकार के वस्तुओं जैसे घर और आदि बनाने होती है तो उसे बनाने के कुछ के लिए कुछ डंडियों को समान अंतर रखने होती है यहां तक कि जब कोई घर का नक्शा तैयार किया जाता है तब उसमें भी रेखा और कोण (lines and angles) के गुणों की जानकारी की आवश्यकता होती है।
परिभाषाएं (defines) :
रेखाखंड (line segment) – एक रेखा का वह भाग जिसमें दो अंत बिंदु वह एक रेखाखंड (line segment) कहलाता है।
यदि हमें कोण और रेखाओं (lines and angles) के गुणों का अध्ययन करना है तो उससे पहले हमें कुछ आधारभूत पदो या शब्दों को जानना होगा।
किरण (Ray) – किसी रेखा का वह भाग जिसका एक अंत बिंदु हो वह किरण (ray) कहलाता है।
सरेख बिंदु (Collinear points) – यदि तीन या अधिक बिंदु एक ही रेखा पर स्थित हो तो , वह सरेख (collinear points) बिंदु कहलाता है।
असरेख बिंदु (Non – collinear points) – यदि तीन बिंदु से कम एक ही रेखा पर स्थित हैं तो असरेख बिंदु (non-collinear points) कहलाता है।
कोण (Angle) – जब दो किरणें एक ही बिंदु से प्रारंभ होते हैं तो एक कोण (angle) बनता है।
भुजाएं (arms या sides) – कोण को बनाने वाले दोनों किरणें कोण की भुजाएं कहलाती हैं।
शीर्ष (vertex) – भुजाओं का अंत बिंदु कोण का शीर्ष (vertex) कहलाता है।
अब कुछ कोणों के प्रकारों के बारे में जानते हैं –
1) न्यून कोण (Acute angle) : वह कोण जिसका माप 0 से अधिक और 90 से कम होता है या 0 से 90 के बीच में होता है।
0 < θ < 90
2) समकोण (right angle) : वह कोण जिसका माप ठीक 90 होता है।
θ = 90
3) अधिक कोण (obtuse angle) : वह कोण जिसका माप 90 से अधिक और 180 से कम या 90 से 180 के बीच में होता है।
90 < θ < 180
4) ऋजु कोण (straight angle) : वह कोण जिसका माप 180 के बराबर होता है वह ऋजु कोण (straight angle) कहलाता है।
θ = 180
5) प्रतिवर्ती कोण (reflex angle) : वह कोण जिसका माप 180 से अधिक और 360 से कम या 180 से 360 के बीच में होता है।
180 < θ < 360
6) पूरक कोण (complementary angles) : यदि किसी भी दो कोणों का योग समकोण (right angle) 90 के बराबर हो मैं पूरक कोण कहलाते हैं।
θ + θ’ = 90
7) संपूरक कोण (supplementary angle) : यदि किसी दो कोणों का योग ऋजु कोण (straight angle) 180 के बराबर हो तो वह संपूरक कोण (supplementary angles) कहलाते हैं।
8) आसन्न कोण (Adjacent angles) : यदि उनमें उभयनिष्ठ शीर्ष हो , एक उभयनिष्ठ भूजा हो और उनकी वे भुजाएँ जो उभयनिष्ठ नहीं है , उभयनिष्ठ भूजा के विपरीत और स्थित हो।
9) कोणों का एक रेखिक युग्म (linear pair of angles) : यदि वह दो कोण जो एक ही समतल पर बने हो। अधिक समझने के लिए चित्र में देख सकते हैं।
10) शीर्षभिमुख कोण (vertically opposite angles) : मान लीजिये दो रेखाएं एक दूसरे को एक ही बिंदु पर काट रही है तो वह दो कोण जो आपस में एक दूसरे के आमने सामने बन रहे हैं उन कोणों को शीर्षभिमुख कोण (vertically opposite angles) कहा जाता है।
प्रतिच्छेदी और अप्रतिच्छेदी रेखाएँ (Intersecting lines and non-intersecting lines) :
प्रतिच्छेदी रेखाएँ (intersecting lines) : यदि दो रेखाएँ आपस मे एक दूसरे को किसी भी बिंदुओं पर काटती है तो वह रेखाएं प्रतिच्छेदी रेखाएं (intersecting lines) कहलाती हैं।
अप्रतिच्छेदी रेखाएं (Non-intersecting lines) : यदि दो रेखाएं आपस में एक दूसरे को किसी भी बिंदु पर नहीं काटते तो वह रेखाएँ अप्रतिच्छेदी रेखाएं (non-intersecting lines) कहलाती हैं।
कोणों के युग्म (pair of angles) : जैसे कि आपने ऊपर पढ़ लिया होगा कि वह दो कोण जो एक ही समतल पर बने हो वह कोणों का रैखिक युग्म कहलाता है।
यहां एक नियम है जो आपको कई प्रश्नों में इस्तेमाल करना होगा।
नियम (rule) : यदि एक किरण एक रेखा पर खड़ी हो , तो इस प्रकार बने दोनों आसन्न कोणों (adjacent angle) का योग 180 होता है।
जब दो आसन्न कोणों का योग 180° हो , तो वह कोणों का रैखिक युग्म बनाते हैं।
नियम 2 : यदि दो आसन्न कोणों (adjacent angle) का योग 180 है , तो उनकी अउभयनिष्ठ भुजाएं (non-common arms) एक रेखा बनाती है।
नियम3 : यदि दो रेखाएं (lines) परस्पर प्रतिचछेद (intersect) करती है , तो शीर्षभिमुख कोण (vertically opposite angle) बराबर होते हैं।
मान लीजिए दो रेखाएं हैं AB और CD , यह दोनों रेखाएं एक दूसरे को एक बिंदु O पर काटती है तो यहां चार कोड बनते हैं और इन चारों कोण बनते है –
∠AOC , ∠AOD , ∠BOC , ∠BOD
तब ∠AOC = ∠BOD
और, ∠AOD = ∠BOC
और इन चारों कोणों का योग 360° होता है ,
∠AOC + ∠AOD + ∠BOC + ∠BOD = 360°
तिर्यक रेखा (Transversal line) :
यदि वह रेखा जो दो या अधिक रेखाओं को एक भिन्न बिंदुओ पर प्रतिच्छेद करती है , वह एक तिर्यक रेखा (transversal lines) कहलाती है।
रेखा l को रेखाएँ m और n को बिंदु काटती है और रेखा l और m में चार कोण ∠1 , ∠2 , ∠3 , ∠4 बनाते है।
रेखा l और n चार कोण ∠5 , ∠6 , ∠7 , ∠8 बनाते है।
∠1 , ∠2 , ∠7 और ∠8 बाहरी कोण (exterior angles) कहलाते है और ∠3 , ∠4 , ∠5 , ∠6 अंतः कोण (interior angle) कहलाते है।
1) संगत कोण (corresponding angles) :
नीचे दिए गए कोण आपस मे समांतर है –
(i) ∠1 और ∠5
(ii) ∠2 और ∠6
(iii) ∠4 और ∠8
(iv) ∠3 और ∠7
यह कोण संगत कोण (corresponding angle) कहलाते है।
2) एकांतर अंतः कोण (Alternate interior angles) :
नीचे दिए गए कोण आपस मे समांतर है –
(i) ∠4 और ∠6
(ii) ∠3 और ∠5
यह कोण एकांतर अंतः कोण (Alternate interior angles) कहलाते है।
3) एकांतर बाहरी कोण (Alternate exterior angles) :
(i) ∠1 और ∠7
(ii) ∠2 और ∠8
यह कोण एकांतर बाहरी कोण (Alternate exterior angles) कहलाते है।
4) तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंतः कोण (interior angles on the same side of the transversal) :
(i) ∠4 और ∠5
(ii) ∠3 और ∠6
तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंतः कोणों को क्रमागत अंतः कोण (consecutive interior angles) या सबंधित कोण (allied angles) या सह अंतः कोण (co-interior angles) भी कहा जाता है।
वही कई बार हम एकांतर अंतः कोण (Alternate interior angles) को केवल एकांतर कोण (Alternate angles) कह कर भी प्रयोग करते है।
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