महालक्ष्मी स्तुति | Mahalaxmi StutiMaa PDF, लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए करे यह उपाय
महालक्ष्मी स्तुति | Mahalaxmi StutiMaa PDF, लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए करे यह उपाय
Mahalaxmi StutiMaa PDF: आज के समय में सभी स्त्री पुरुष किसी ना किसी तकलीफों का सामना करते रहते है, जिसकी वजह से उन्हें कई तरह की समस्या जीवन में आती है, लेकिन अधिकतर लोगों के जीवन में पैसे की समस्या काफी ज्यादा बनी हुई रहती है और इसी के पूर्ति के लिए वह लक्ष्मी जी की उपासना करते हैं।
मां लक्ष्मी जी की स्तुति
आज हम आपको ऐसी लक्ष्मी स्तुति के बारे में बताने जा रहे हैं। इसके मदद से आप अपनी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं, व्यक्ति अध्यक्ष लक्ष्मी जी का पूजन और उसकी स्थिति करता है, तो उसे पर लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है और उसे धन से संबंधित समस्याएं जीवन में नहीं आती है।
शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी जी को कई नाम से जाना जाता है, जिसमें वह लक्ष्मी महालक्ष्मी नाम भी शामिल है। इसके साथ ही इमेज काफी चंचल भी बताया गया है, क्योंकि यह एक स्थान पर ज्यादा समय तक नहीं रुकती है। मां लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है, जिनकी पूजा करने से धनेश्वर और वैभव की प्राप्ति होती है। इसी कारण हर कोई लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय करता रहता है, उन्हें उपाय में से कुछ आपको भी बताने जा रहे हैं।
मां लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के उपाय
यदि आप भी मां लक्ष्मी जी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो, आप मां लक्ष्मी जी की स्तुति को कर सकते हैं। इसके साथ ही आप मां लक्ष्मी जी को कई चीजे अर्पित कर सकते हैं और कुछ उपाय कर सकते हैं, जिसकी मदद से आप पर लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है।
शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के मंदिर में शंख, कौड़ी, कमल का फूल, मखाने, बताशे, खीर और गुलाब का इत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं और घर में कभी भी पैसों की कमी नहीं होती है।
शुक्रवार के दिन काली चींटियों को चीनी डालें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा होगी, जिससे काम में आ रहे हर अवरोध से छुटकारा मिलेगा।
शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने के साथ-साथ श्रीयंत्र की पूजा करें। इसके साथ ही श्री सूक्त का पाठ करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी जल्द प्रसन्न होगी।
मां लक्ष्मी को कमल का फूल अति प्रिय है। इसलिए शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की चरणों में कमल का फूल अवश्य अर्पित करें।
रविवार को पुष्य नक्षत्र में कुशमूल लेकर आएं और गंगाजल से इसे धोकर शुद्ध कर लें। अब इसे देवता मानकर घर के मंदिर में रखकर विधिवत पूजन करें। बाद में इसे लाल रंग के कपड़े में लपेटकर तिजोरी या फिर धन स्थान पर रख दें। माना जाता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती हैं और व्यक्ति को भी पैसों की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।
वैवाहिक जीवन में थोड़ी तकरार चल रही है तो शुक्रवार के दिन बेडरूम में प्रेमी पक्षी की तस्वीर लगाएं।
मां लक्ष्मी जी की स्तुति PDF Download
॥ महालक्ष्मीस्तुतिः ॥
आदिलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरूपिणि ।
यशो देहि धनं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ १॥
सन्तानलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्रपौत्रप्रदायिनि । सन्तानलक्ष्मि वन्देऽहं
पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ २॥
विद्यालक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्मविद्यास्वरूपिणि ।
विद्यां देहि कलां देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ ३॥
धनलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदारिद्र्यनाशिनि ।
धनं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ ४॥
धान्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरणभूषिते ।
धान्यं देहि धनं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ ५॥
मेधालक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलिकल्मषनाशिनि ।
प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ ६॥
गजलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेवस्वरूपिणि ।
अश्वांश्च गोकुलं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ ७॥
धीरलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्तिस्वरूपिणि ।
वीर्यं देहि बलं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ ८॥
जयलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वकार्यजयप्रदे ।
जयं देहि शुभं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ ९॥
भाग्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमंगल्यविवर्धिनि ।
भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ १०॥
कीर्तिलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु विष्णुवक्षस्थलस्थिते ।
कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ ११॥
आरोग्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वरोगनिवारणि । आरोग्यलक्ष्मि वन्देऽहं
आयुर्देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ १२॥
सिद्धलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वसिद्धिप्रदायिनि ।
सिद्धिं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ १३॥
सौन्दर्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालंकारशोभिते । सौन्दर्यलक्ष्मि वन्देऽहं
रूपं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ १४॥
साम्राज्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि । साम्राज्यलक्ष्मि वन्देऽहं
मोक्षं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ १५॥
मंगले मंगलाधारे मांगल्ये मंगलप्रदे ।
मंगलार्थं मंगलेशि मांगल्यं देहि मे सदा ॥ १६॥
सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्रयम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥ १७॥
शुभं भवतु कल्याणी आयुरारोग्यसम्पदाम् ।
मम शत्रुविनाशाय दीपज्योति नमोऽस्तु ते ॥ १८॥
दीपज्योति नमस्तेऽस्तु दीपज्योति नमोऽस्तु ते ।