जानें प्राचीन सभ्यता मेसोपोटामिया का इतिहास, जिसने दिया गणित और खगोल विज्ञान
जानें प्राचीन सभ्यता मेसोपोटामिया का इतिहास, जिसने दिया गणित और खगोल विज्ञान
Mesopotamian Civilization: हमारे इतिहास में कई तरह की सभ्यताओं को जाना या है। उसी में से एक होती है, मेसोपोटामिया सभ्यता जिसे सुमेरियन सभ्यता के नाम से भी लोग जानते हैं। अब तक मानव इतिहास में दर्ज सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक सभ्यता को माना जाता है।
मेसोपोटामिया का अर्थ
मेसोपोटामिया नाम गरीब शब्द महसूस से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है कि मध्य और पोटम उसका अर्थ होता है। नदी इस तरह से नवी यूफ्रेट्स और टाइग्रेस नदियों के बीच स्थित एक जगह है। इसी से इसका नाम मेसोपोटामिया हुआ है अब इराक का हिस्सा है। यह सब बता अपने समृद्धि शहरी जीवन विशाल साहित्य और गणित और भूगोल विज्ञान के लिए भी काफी जाना जाता है।
किस तरह की थी मेसोपोटामिया सभ्यता
यह तो हम सभी जानते हैं कि, अब इसको की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है, इसका समय ईसा से 35 वर्ष पूर्व माना जाता है वहीं यह भी कहा जाता है कि, सुमेरी लोगों के भारत और चीन के साथ अच्छे व्यापारिक संबंध भी हुआ करते थे ।वह इतिहासकारों के अनुसार या मोहनजोदड़ो सभ्यता की लिपि और सो मेरी लिपि और मोहरों से मिलती-जुलती भी है।
इसी के साथ ही पहली ज्ञात भाषा सुमेरियन भी खेल आई है जो कि, धीरे-धीरे 2460 पूर्व के आसपास द्वारा बदल दिया गया था। सुमेरिया ही निवासी भी अस्तित्व और मूर्ति पूजा करते थे। वह भी आस्था में विश्वास रखते थे उस समय मंदिरों का निर्माण कर उनसे अपने इष्ट देवता की मूर्ति स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती थी।
मेसोपोटामिया सभ्यता की विशेषताएं
- मेसोपोटामिया सभ्यता के दौरान ही गणित के क्षेत्र में सबसे पहले 110 और शो के चिन्हों की खोज गई थी।
- इस सभ्यता ने खगोल विज्ञान में भी काफी अहम उपलब्धियां हासिल की है और उन्होंने गुरु मंगल शुक्र तथा शनि ग्रह का पता लगाया था।
- इनके द्वारा नक्षत्रों को 12 राशियों में बांटकर उनका नामकरण कर दिया गया था, उन्होंने पंचांग भी बनाया था और सूर्यग्रहण तथा चंद्र ग्रहण के कारणों को भी समझ लिया था।
- इसके साथ ही मेसोपोटामिया सभ्यता में समय देखने के लिए धूप घड़ी और सूर्य घड़ी का भी अविष्कार कर लिया था।
- मेसोपोटामिया की सभ्यता के अंतर्गत सुमेरियन ,बेबीलोन तथा असीरियन की सभ्यताओं का विकास हुआ।
- मेसोपोटामिया के लोग अपने भोजन में गेहूं तथा जौ की रोटी, दूध, दही, मक्खन, फल आदि का प्रयोग करते थे और खजूर से आटा, चीनी, तथा पीने के लिए शराब तैयार करते थे। वे मांस-मछली का भी सेवन करते थे।
मेसोपोटामिया सभ्यता का रहन सेहन और पहनावा
मेसोपोटामिया सभ्यता के ओग पहनने के लिए उन्हें और सूती कपड़ों का उपयोग करते थे, तब भेड़ की खाल से बने वस्त्र पहनते थे पुरुषों के वस्त्रों में लूंगी प्रमुख थी और आज भी भारत के कई प्रांतों में लुंगी पहनी जाती है। वही मकानों का गंदा पानी निकालने के लिए इन्होंने नालियों मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के नगरों के समान ही देखी जाती थी, इसीलिए इन दोनों की सभ्यताओं में समानता भी मिलती थी।
इस समय महिलाएं पर्दा प्रथा भी करती थी, लेकिन वह समय से फिर आज परिवारों तक ही सीमित थी दहेज का प्रचलन था, परंतु विवाह में पिता से प्राप्त दहेज पर वधू का ही अधिकार होता था, वही विधवा को पति की संपत्ति बेचने का भी अधिकार उस समय हुआ करता था।
प्रारम्भ में इनकी लिपि चित्रों पर आधारित थी, जो बाद में ध्वनि पर आधारित हो गयी। लिखने के लिए नरम मिट्टी की बनी तख्तियों पर सरकण्डे की कलम का प्रयोग किया जाता था। इसके साक्ष्य निनवेह की खुदाई के दौरान मिले है। जिन पर कहानियां, महाकाव्य , गीतिकाव्य तथा धार्मिक उपदेश संकलित है।
मेसोपोटामिया सभ्यता का वास्तु कला
मेसोपोटामिया सभ्यता का प्रतीक कच्चा माल हुआ करता था। यहां पर मिट्टी से बने हुए कई तरह के बर्तन और ऐड की वास्तुकला भी देखने को मिलती है। उसी के साथ जिन्होंने मिट्टी की मूर्तियों को भी बनाना शुरू कर दिया था। कलाकृतियों की संख्या और विविधता में मेसोपोटामिया मिट्टी की मुहर रखता है। जिससे कि कोई अन्य सभ्यता नहीं करती है। दुनिया में ही नहीं बल्कि मेसोपोटामिया और इसके प्रभाव वाले क्षेत्रों में भी इसका उपयोग किया जाने लगा था और वाहन के रूप में इस्तेमाल किया गया था।