प्रेरक प्रसंग (Prerak Prasang) PDF Hindi Download
प्रेरक प्रसंग (Prerak Prasang)
Prerak Prasang: हमारे जीवन को उच्च बनाने के लिए कई तरह की शिक्षाएं हमारे गुरु द्वारा दी जाती है। वही हमें कुछ ऐसी कहानियां और ऐसे उपदेश दिए जाते हैं जो कि, प्रेरक प्रसंग कहलाते हैं। वहीं प्रेरक कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि, आज सभी अपने जीवन में कुछ ना कुछ निर्णय लेते हैं और उसके लिए प्रयत्न भी करते हैं, पर सभी सफल क्यों नहीं हो पाते हैं।
इस बात का उदाहरण आपको प्रेरक कहानियों में मिल जाएगा, क्योंकि वह जल्दबाजी में हमेशा गलत निर्णय लेते हैं, जो व्यक्ति ने देने से पहले विचार नहीं करते हैं और उस पर ध्यान नहीं करते हैं उनके निर्णय अक्सर गलत होते हैं। इससे जुड़ी हुई कई शिक्षाप्रद कहानी आपको मिल जाएगी जो कि, आपके जीवन में काफी सुधार लाती है।
प्रेरणा छात्रों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
छात्र जीवन हो या फिर आप की युवावस्था हो सभी को प्रेरणा की अति आवश्यकता होती है और प्रेरक प्रसंग आपको काफी प्रेरणा और ज्ञान देते हैं। शिक्षा में प्रेरणा बच्चों और युवाओं को एक महत्वपूर्ण लक्ष्य और परिणाम पर अपना ध्यान केंद्रित करने में भी मदद करती है। ऐसा करने से वह संभावित रूप से विचलित नहीं होते हैं और अपने लक्ष्य की ओर ध्यान रखते हैं इसलिए लंबे समय तक अपना ध्यान बनाए रखने में सक्षम होते हैं जो छात्र प्रेरित होते हैं में लक्ष्य और व्यवहार प्रदर्शित करते है।
प्रेरक प्रसंग हमारे जीवन को उन्नत कैसे बनाते हैं?
प्रेरक प्रसंग हमारे जीवन को उन्नत बनाने में काफी सफलता दिलाते है, जिस तरह से कुत्ते भौंकते हुए थक जाते हैं, और वापस अपने इलाके की ओर भाग जाते हैं। हमें भी अपनी बुराई करने वालों के साथ इसी तरह पेश आना चाहिए। हमें सिर्फ अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए और सत्य के मार्ग पर आगे बढ़ते रहना चाहिए। हमारे अच्छे काम ही ऐसे लोगों का मुंह बंद कर सकते हैं। इसलिए अच्छे कामो पर ध्यान आवश्य देना चाहिए।
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प्रेरक प्रसंग की कुछ कहानिया
प्रेरक प्रसंग – ‘संगत का असर’
एक अध्यापक अपने शिष्यों के साथ घूमने जा रहे थे । रास्ते में वे अपने शिष्यों के अच्छी संगत की महिमा समझा रहे थे । लेकिन शिष्य इसे समझ नहीं पा रहे थे । तभी अध्यापक ने फूलों से भरा एक गुलाब का पौधा देखा । उन्होंने एक शिष्य को उस पौधे के नीचे से तत्काल एक मिट्टी का ढेला उठाकर ले आने को कहा ।
जब शिष्य ढेला उठा लाया तो अध्यापक बोले – “ इसे अब सूंघो ।”
शिष्य ने ढेला सूंघा और बोला – “ गुरु जी इसमें से तो गुलाब की बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है ।”
तब अध्यापक बोले – “ बच्चो ! जानते हो इस मिट्टी में यह मनमोहक महक कैसे आई ? दरअसल इस मिट्टी पर गुलाब के फूल, टूट टूटकर गिरते रहते हैं, तो मिट्टी में भी गुलाब की महक आने लगी है जो की ये असर संगत का है और जिस प्रकार गुलाब की पंखुड़ियों की संगति के कारण इस मिट्टी में से गुलाब की महक आने लगी उसी प्रकार जो व्यक्ति जैसी संगत में रहता है उसमें वैसे ही गुणदोष आ जाते हैं ।
प्रेरक प्रसंग – ‘कर्तव्य’
एक समय की बात है । एक नदी में एक महात्मा स्नान कर रहे थे । तभी एक बिच्छू जो पानी में डूब रहा था, उसे बचाते हुए बिच्छु ने महात्मा को डंक मार दिया ।
महात्मा ने उसे कई बार बचाने की कोशिश की । बिच्छू ने उन्हें बार – बार डंक मारा । अंतत: महात्मा ने उसे बचाकर नदी के किनारे रख दिया । थोड़ी दूर खड़े यह सब महात्मा के शिष्य देख रहे थे । जैसे ही वे नदी से बाहर आये तो शिष्यों ने पूछा कि जब वह बिच्छू आपको बार – बार डंक मार रहा था तो आपको उसे बचाने की क्या आवश्यकता थी ।
तब महात्मा ने कहा – बिच्छू एक छोटा जीव है, उसका कर्म काटना है, जब वह अपना कर्तव्य नहीं भूला, तो मैं मनुष्य हूँ मेरा कर्तव्य दया करना है तो मैं अपना कर्तव्य कैसे भूल सकता हूँ ।
प्रेरक प्रसंग ‘तेजस्वी बालक नरेंन्द्रनाथ’
स्वामी विवेकानंदजी जी को बचपन में सब लोग बिले नाम से पुकारते थे। बाद में नरेन्द्रनाथ दत्त कहलाये। नरेन्द्रनाथ बहुत उत्साही और तेजस्वी बालक थे। इस बालक को बचपन से ही संगीत, खेलकूद और मैदानी गतिविधियों में रुचि थी। नरेन्द्रनाथ बचपन से ही अध्यात्मिक प्रकृति के थे और यह खेल – खेल में राम, सीता, शिव आदि मूर्तियों की पूजा करने में रम जाते थे। इनकी माँ इन्हें हमेशा रामायण व महाभारत की कहानियां सुनाती थी जिसे नरेन्द्रनाथ खूब चाव से सुनते थे।
एक बार बनारस में स्वामी विवेकानंद जी माँ दुर्गा जी के मंदिर से निकल रहे थे कि तभी वहां पहले से मौजूद बहुत सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया। वे उनसे प्रसाद छिनने के लिए उनके नजदीक आने लगे। अपने तरफ आते देख कर स्वामी स्वामी जी बहुत भयभीत हो गए। खुद को बचाने के लिए भागने लगे। पर वे बंदर तो पीछा छोड़ने को तैयार ही नहीं थे।
पास में खड़ा एक वृद्ध संयासी ये सब देख रहा था, उन्होंने स्वामी जी को रोका और कहा – रुको ! डरो मत, उनका सामना करो और देखों कि क्या होता है। बृद्ध संयासी की बात सुनकर स्वामी जी में हिम्मत आ गई और तुरंत पलटे और बंदरों की तरफ बढ़ने लगे। तब उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उनके सामना करने पर सभी बंदर भाग खड़े हुए थे। इस सलाह के लिए स्वामी जी ने बृद्ध संयासी को बहुत धन्यवाद दिया।
इस घटना से स्वामी जी को एक गंभीर शिक्षा मिली और कई सालों बाद उन्होंने एक सभा में इस घटना का जिक्र किया और कहा – यदि तुम कभी किसी चीज से भयभीत हो, तो उससे भागों मत, पलटो और सामना करों। वास्तव में, यदि हम अपने जीवन में आये समस्याओं का सामना करे तो यकीन मानिए बहुत सी समस्याओं का समाधान हो जायेगा।
निष्कर्ष :
दोस्तों प्रेरक कहानी से हमे यह सिख मिलती है की, आज सभी अपने जीवन में कुछ न कुछ निर्णय लेते है और उसके लिए प्रयत्न भी करते है, लेकिन वह किसलिए सफल नही होते है, इसकी शिक्षा आपको इससे मिल जाती है।