Probability in Hindi | प्रायिकता फार्मूला और शार्ट ट्रिक्स | सिक्के उछालने की घटना
आप घटनाओं की प्रायोगिक (experimental) [ या आनुभविक (empirical)] , प्रायिकताओं के बारे में जानते होंगे , जो वास्तविक प्रयोगों के परिणामों पर आधारित थी। हमने एक सिक्के को हजार 1000 बार उछालने के प्रयोग की चर्चा की थी, जिसमें परिणामों (outcomes) की बारंबारताएँ इस प्रकार थी :
चित (Head) : 455
पट (Tail) : 545
इस प्रयोग पर आधारित , एक चित की आनुभविक प्रायिकता 455/1000 अथार्त 0.455 है तथा एक पट की आनुभविक प्रायिकता 545/1000 अथार्त 0.545 है।
इस आर्टिकल में हम आगे इसकी परिभाषा , प्रकार और उन सभी के प्रकारों को अच्छे से अध्ययन करेंगे। साथ ही इनसे संबंधित कुछ प्रश्नों को भी हल करेंगे और उन्हें अच्छे से समझने का प्रयत्न करेंगे।
परिभाषा – Probability meaning in Hindi :
प्रायिकता (probabiltiy) यह गणित की शाखा है जिसमें किसी घटना के घटित होने की संभावना के संख्यात्मक विवरण के बारे में या यह संभावना कितनी है , प्रायिकता कहलाती है।
उदाहरण के लिए ,
मान लीजिए कोई क्रिकेट का मैच हो रहा है तो उसमें कोई भी टीम की जीतने या हारने की संभावना , उस जीत या हार की प्रायिकता कहलाती है।
प्रायिकता – एक सैद्धान्तिक दृष्टिकोण ( probability -theoretical approach) :
NOTE : जब हम एक सिक्के की बात करते हैं , तब हम यह कल्पना करते हैं कि वह न्यायसंगत (fair) है। अथार्त यह सममित (symmetrical) है ताकि कोई कारण ना हो कि वह एक ही ओर, दूसरी ओर की अपेक्षा , अधिक गिरे। हम सिक्के के इस गुण को उसका अपक्षपातपूर्ण (unbiased) होना कहते हैं। ‘यादृच्छया उछाल’ (Random toss) से हमारा तात्पर्य है कि सिक्के को बिना किसी पक्षपात (biase) या रुकावट के स्वतंत्रतापूर्वक गिरने दिया जाता है।
मान लीजिए यदि हम एक सिक्के को ramdomly उछाला जाता है तो,
हम यह जानते हैं कि सिक्का दो संभव विधियों में से केवल एक ही विधि से गिर सकता है – या तो चित (head) या फिर पट (tail)। हम सिक्के के किनारे (edge) पर गिरने पर उसे अस्वीकार करते हैं जो तभी संभव है यदि सिक्का रेत पर गिरे तभी ही।
तो हम यह भी कह सकते हैं कि सिक्के के केवल दो ही परिणाम हो सकते हैं – चित (head) या पट (tail) और दोनों के ही आने की संभावना या प्रायिकता बराबर है तो इसे हम पट समप्रायिक (equally likely) कहते हैं।
अतः सभी प्रयोगों के परिणामों का समप्रायिक होना आवश्यक नहीं है , परंतु इस आर्टिकल (article) में हम आगे यह मानकर चलेंगे कि सभी प्रयोगों के परिणाम समप्रायिक है।
हमने एक घटना E की प्रयोगात्मक या आनुभविक प्रायिकता P(E) को इस तरह लिखा जाता है –
P(E) = अभिप्रयोगों की संख्या जिनमें घटना घटित हुई है / अभिप्रयोगों की कुल संख्या
P(E) = number of trials in which the event happened / total number of trials
किसी घटना E के सैद्धांतिक प्रायिकता (theoretical probability) [जैसे परंपरागत प्रायिकता (classical probability) भी कहा जाता है।]
P(E) को निम्नलिखित रूप से परिभाषित की जाती है ,
P(E) = E के अनुकूल परिणामों की संख्या / प्रयोग के सभी संभव परिणामों की संख्या
P(E) = number of outcomes favourable to E / number of all possible outcomes of the experiment
यहां हम कल्पना करते हैं कि प्रयोग के परिणाम समप्रायिक (equally likely) है।
उदाहरण : एक चित प्राप्त करने की प्रायिकता ज्ञात कीजिए , जब एक सिक्के को 1 बार उछाला जाता है। साथ ही , एक पट प्राप्त करने की भी प्रायिकता ज्ञात कीजिए।
एक सिक्के को 1 बार उछलने की प्रयोग में , संभव परिणामों की संख्या 2 है –
चित (H) और पट (T)
मान लीजिए घटना E ‘चित प्राप्त करना ‘ है।
तब, E के अनुकूल (अथार्त चित प्राप्त करने के अनुकूल परिणाम 1 है।)
अतः ,
P(E) = P(चित) = P(H) = E के अनुकूल परिणामों की संख्या/ सभी संभव परिणामों की संख्या
= 1/2
इसी प्रकार यदि घटना पट प्राप्त करना है तो ,
P(F) = P(T) = 1/2
किसी प्रयोग की वह घटना जिसका केवल एक ही परिणाम हो प्रारंभिक घटना (elementary event) कहलाती है।
P(E) + P(F) = 1 (ऊपर दिए गए उदाहरण से)
किसी प्रयोग की सभी प्रारंभिक घटनाओं की प्रायिकताओं का योग 1 है। यह व्यापक रूप से भी सत्य है।
यदि कोई घटना E के होने की प्रायिकता P(E) और उसी घटना के ना होने E’ की प्रायिकता P(E’) है तो हम व्यापक रूप में ,
P(E) + P(E’) = 1
कह सकते है।
यहां E घटना और E’ घटना नहीं ,
घटना नहीं E’ घटना E का पूरक घटना कहलाती है।
यदि हमें किसी भी घटना होने की प्रायिकता मालूम हो तो हम आसानी से उस ही घटना के न होने की प्रायिकता भी ज्ञात कर सकते हैं।
उसी तरह यदि हमें किसी घटना के ना होने की प्रायिकता मालूम हो तो हम उस ही घटना के होने की प्रायिकता भी आसानी से ज्ञात कर सकते हैं। उसके लिए हमें नीचे दिए गए सूत्र का इस्तेमाल करते हैं –
P(E) + P(E’) = 1
P(E’) = 1 – P(E)
P(E) = 1 – P(E’)
घटना के प्रकार (Types of events) – Probability events :
उदाहरण के लिए ,
मान लीजिए किसी एक थैली में तीन रंग की गेंद है– लाल , हरी , पीली यदि हम कोई गेंद randomly निकाले और हमें नीली गेंद की प्रायिकता ज्ञात करनी हो तो –
P(E) = 0/3 = 0
क्योंकि नीली गेंद तो थैली में ही नहीं थी इसलिए उसकी प्रायिकता शुन्य होगी।
P(E) = 1
तो हम व्यापक रूप से कह सकते हैं ,
0 < P(E) < 1 (< symbol – greater than or equal to)
सिक्के उछालने की घटना (event of a tossing) :
यदि हम किसी एक सिक्के को उछालते हैं तो उसके संभव परिणाम होंगे –
H , T
यदि हम किसी दो सिक्को को उछालते हैं तो उसके संभव परिणाम होंगे –
H T , T H , H H , T T
यदि हम किसी तीन सिकको को उछालते हैं तो उसके संभव परिणाम होंगे –
H H H , T T T
H H T , T H H
T T H , H T T
H T H , T H T
पासें फेंकने की घटना (event of a dice thrown) :
यदि हम किसी एक पासे को randomly फेंकते हैं तो , उसके संभव परिणाम होंगे –
1 , 2 , 3 , 4 , 5 ,6
यदि हम किसी दो पासों को randomly फेंकते हैं तो , उसके संभव परिणाम होंगे –
ताश की गड्डी (Deck of card) :
इसमें कुल 52 पत्ते होते हैं। जो 4 समूहों में बैठे होते हैं। प्रत्येक समूह में 13 पत्ते होते हैं।
इसमें 26 काले रंग और 26 लाल रंग के होते हैं।
13 – हुकुम (spades)
13 – पान (heart)
13 – ईंट (diamonds)
13 – चिड़ी (club)
4 – बादशाह (king)
4 – बेगम (Queen)
4 – इक्का (Ace)
4 – गुलाम (Jack)
इकके को छोड़कर ऊपर दिए गए पत्तों को फेस कार्ड (face card) कहा जाता है।
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