ऋग्वेद इन हिंदी पीडीएफ फाइल डाउनलोड | Rigveda Hindi PDF Download
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Rigveda Hindi: हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार चार मुख्य वेद हुए हैं जिसमें से ऋग्वेद भी एक महत्वपूर्ण वेदों में से एक माना जाता है, ऋग शब्द का अर्थ है कि जिसे सब पदार्थों की गुना और स्वभाव का वर्णन किया जाए वह ऋग्वेद कहलाता है. ऋग्वेद में आठ अष्टक और एक एक अष्टक में आठ आठ अध्याय हैं। सब अध्याय मिलके चौसठ होते हैं। एक एक अध्याय की वर्गसंख्या कोष्ठों में पूर्व लिख दी है। और आठों अष्टक के सब वर्ग 2024 दो हजार चौबीस होते हैं।
ऋग्वेद से ही अन्य तीन वेदों की रचना हुई है। ऋग, यजु, साम और अथर्व ये चार वेद हैं। ऋग्वेद पद्यात्मक है, यजुर्वेद गद्यमय है और सामवेद गीतात्मक है। ऋग्वेद दुनिया का प्रथम ग्रंथ और धर्मग्रंथ है। यूनेस्को ने ऋग्वेद की 1800 से 1500 ई.पू. की लगभग 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है। ऋग्वेद की रचना सम्भवतः सप्त-सैंधव प्रदेश में हुई थी।
ऋग्वेद की परिभाषा
ऋक अर्थात् स्थिति और ज्ञान ऋग्वेद सबसे पहला वेद है जो पद्यात्मक है। इसमें सबकुछ है। यह अपने आप में एक संपूर्ण वेद है। ऋग्वेद अर्थात् ऐसा ज्ञान, जो ऋचाओं में बद्ध हो।
ऋग्वेद का परिचय
ऋग्वेद के अंदर 10 मंडल, में 1028 सूक्त है जिसमें 11 हजार मंत्र (10580) हैं। प्रथम और अंतिम मंडल समान रूप से बड़े हैं। इसमें सूक्तों की संख्या 191 है। दूसरे से सातवें मंडल तक का अंश ऋग्वेद का श्रेष्ठ भाग है। आठवें और प्रथम मंडल के प्रारम्भिक 50 सूक्तों में समानता है।
इसका नवां मंडल सोम संबंधी आठों मंडलों के सूक्तों का संग्रह है। जिसमे आपको कई नविन सूक्तों की रचना देखने को मिल जायेगी. दसवें मंडल में औषधि सूक्त यानी दवाओं का जिक्र मिलता है। इसमें औषधियों की संख्या 125 के लगभग बताई गई है, जो कि 107 स्थानों पर पाई जाती है। औषधि में सोम का विशेष वर्णन है। ऋग्वेद में कई ऋषियों द्वारा रचित विभिन्न छंदों में लगभग 400 स्तुतियां या ऋचाएं हैं
ऋग्वेद में क्या शामिलकिया गया है
ऋग्वेद में शामिल किए गए मंत्रों की रचना किसी एक ऋषि द्वारा नहीं की गई है. बल्कि इसमें निश्चित अवधि में अलग-अलग काल में विभिन्न दृश्यों द्वारा यह रची और संकलित की गई है. इसमें राजनीतिक प्रणाली और इतिहास के विषय में भी जानकारी प्राप्त मिलती है. इसके साथ ही इसमें भौगोलिक स्थिति और देवी-देवताओं के अपमान के मंदिरों के साथ बहुत कुछ आपको पढ़ने के लिए मिलता है. ऋग्वेद की रचनाओं में देवताओं की प्रार्थना स्थितियां और देवलोक में उनकी स्थिति का वर्णन किया गया है. इसके साथ ही यहां इसमें वायु चिकित्सा, सूरज चिकित्सा, और हवन द्वारा चिकित्सा का आदि का भी जानकारी इसमें आपको मिल जाएगी. आज के समय में कई लोग इन चिकित्सक पद्धति का भी उपयोग करते हैं.
इस वेद की 5 प्रमुख शाखाएं हैं
– शाकल्प, वास्कल, अश्वलायन, शांखायन, मंडूकायन। वैसे इसकी 21 शाखाएं हैं।
ऋग्वेद के उपवेद:- ऋग्वेद का उपवेद आयुर्वेद है। आयुर्वेद के कर्ता धन्वंतरि देव हैं।
ऋग्वेद के उपनिषद:– वर्तमान में ऋग्वेद के 10 उपनिषद पाए जाते हैं। संभवत: इनके नाम ये हैं- ऐतरेय, आत्मबोध, कौषीतकि, मूद्गल, निर्वाण, नादबिंदू, अक्षमाया, त्रिपुरा, बह्वरुका और सौभाग्यलक्ष्मी।
ऋग्वेद के ब्रह्मण ग्रंथ : ब्राह्मण ग्रंथों की संख्या 13 है, जिसमें ऋग्वेद के 2 ब्रह्मण ग्रंथ हैं। 1. ऐतरेयब्राह्मण-(शैशिरीयशाकलशाखा) और 2. कौषीतकि- (या शांखायन) ब्राह्मण (बाष्कल शाखा)। वेद के मंत्र विभाग को ‘संहिता’ भी कहते हैं। संहितापरक विवेचन को ‘आरण्यक’ एवं संहितापरक भाष्य को ‘ब्राह्मण ग्रंथ’ कहते हैं।
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