साईं सच्चरित्र हिंदी पीडीएफ डाउनलोड | Sai Satcharitra PDF in Hindi Donload
साईं सच्चरित्र हिंदी पीडीएफ डाउनलोड | Sai Satcharitra PDF in Hindi Donload
Sai Satcharitra PDF : हिंदू धर्म में कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है वहीं कई ऐसे अभी संत हुए हैं, जिनकी पूजा अर्चना आज भी लोग करते हैं। उसी तरह से शिर्डी के साईं बाबा का नाम भी सबसे पहले लिया जाता है। आपको बता दें कि शिर्डी के साईं बाबा का निधन 1918 में हुआ था।
साईं दुनिया छोड़ने का संकेत पहले ही लोगों को दे दिया था और उन्होंने लोगों के लिए कई तरह के अच्छे कार्य किए थे। अपने जीवन में साईं बाबा ने कई चमत्कार किए जो आज भी पहली बने हुए हैं ब्रिटिश शासकों ने भी उनके चमत्कारों की जांच करवाई थी, लेकिन वह भी उनकी इस तरह के चमत्कारों को देखकर हैरान रह गए थे। आपको बता दें कि साईं बाबा निर्धन थे, लेकिन उसके बावजूद गौ भक्तों को सोने और चांदी के सिक्के देते थे, उनकी चमत्कारी कहानियां कहीं तरह से जुड़ी हुई है और कई उन्होंने शिक्षा भी छुपी हुई है।
साईं सत्यचरित्र क्या है?
साईं की पूजा अर्चना भी की जाती है की पूजा अर्चना काफी सरल मानी जाती है। वही साईं की पूजा में विशेष नियम भी कुछ ज्यादा नहीं बनाए गए हैं। साईं जिस तरह से फकीरों का जीवन जीते थे और सादगी पसंद करते थे, उसी तरह से उनकी पूजा में भी कड़े नियम शामिल नहीं किए गए हैं। आप उनकी पूजा को शादी की बरी जीवन के साथ कर सकते हैं और उनका चढ़ावा भी बहुत सादा है। साईं को खिचड़ी पसंद थी और यही कारण है कि, विशेष प्रसाद ने भी उन्हें खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। साईं साथ ही साईं सत्यचरित्र के रखरखाव के नियम भी बताए गए हैं साईं सत्य चरित्र का रख-रखाव सही तरीके से करना चाहिए। इसके लिए साईं भक्त श्री साईं सत्चरित्र की पुस्तक अपने पास जरूर रखते हैं और मान्यता है कि इस पुस्तक को पढ़ने भर से साईं कृपा मिल जाती है। श्री साईं सत्चरित्र पवित्र पुस्तक है और इसकी पवित्रता का ध्यान रखना सबसे जरूरी है। तो आइए जानते हैं कि श्री साईं सत्चरित्र का रख-रखाव और पालन नियम क्या है।
साईं सत्चरित्र के पढने के नियम और शर्तें
- साईं सत्चरित्र पुस्तक को खुले तौर पर नहीं रखना चाहिए, साथ ही इसे लाल अथवा पीले वस्त्र के साथ लपेट कर रखना चाहिए।
- इस पुस्तक को कभी भी कहीं पर भी नहीं रखना चाहिए और जहां भी रखे हो वह जगह साफ-सुथरी या फिर घर का मंदिर होना चाहिए।
- साईं सत्चरित्र को हमेशा पवित्र मन और साफ-सुथरी शरीर के साथ छोड़ना और पढ़ना चाहिए।
- साईं सत्चरित्र पुस्तक को गुरुवार को जरुर पढ़े और इसे हो सके तो, प्रतिदिन कम से कम 15 मिनट पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ना चाहिए, जिससे साईं की कृपा आप पर बनी रहती है।
- जब भी आप पुस्तक को पड़े तब अपने मन में साईं के वचनों को पालन करने का निश्चय करते हुए साईं का ध्यान करना चाहिए।श्री
- साईं सत्चरित्र पढ़ते समय संभव हो तो इसे पूजा कक्ष या साईं की तस्वीर के समक्ष पढ़ें। यदि यह संभव न हो तो मन में पहले साईं की छवि को दिल में उतार लें फिर पुस्तक पाठ शुरू करें।
- साईं सत्चरित्र पुस्तक को बांटना पुण्यकर्म माना गया है। साईं भक्त को यह कार्य करते रहना चाहिए।
साईं सच्चरित्र हिंदी पीडीएफ
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