Sankat Mochan Hanuman Ashtak PDF (संकटमोचन हनुमानअष्टक)
Sankat Mochan Hanuman Ashtak PDF (संकटमोचन हनुमानअष्टक)
Hanuman Ashtak: हनुमान जी को बल और बुद्धि का देवता कहा गया है और हनुमानजी की उपासना करने के लिए कई तरह के पाठ और हनुमान चालीसा भी किया जाता है। उसी तरह से हनुमान जी को खुश करने के लिए श्रीहनुमानाष्टक का पाठ भी किया जाता है।
हनुमान अष्टक का पाठ करने से बल बुद्धि और तेज की प्राप्ति होती और जीवन में आने वाली सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। हम सभी जानते हैं कि, हनुमानजी कद्दू के संरक्षक देव हैं अगर जीवन में रोग दोष भूत-प्रेत की बाधा है, किसी भी प्रकार की कोई परेशानी हो तो सर्वप्रथम उपाय मंगलवार के दिन स्नान करके पूरी श्रद्धा और मनोकामना से श्रीमान अष्टक का पाठ जरूर करें।
हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak) क्या है?
श्रीहनुमानाष्टक का पाठ करने से आपने जो भी कोई गलती की है, उसे हनुमान जी क्षमा करते हैं, क्योंकि हनुमान जी बचपन में नटखट और शरारती रही जब ऋषि द्वारा उन्हें विश्राम दिया गया था। हनुमान जी अपने सभी शक्तियों को खो दिया था, और जब उन्हें अपनी शक्तियों को याद दिलाए जाएगा तब उन्हें शक्तियां याद आ जाएगी।
इसके बाद हनुमान जी द्वारा क्षमा याचना करने पर ऋषि ने उन्हें शक्तियां प्राप्त करने का उपाय बताया था। इस प्रकार दोस्तों हनुमान अष्टक हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण कराता है। जब हनुमानजी सीता जी की खोज करने गए थे, उस समय हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण इसी हनुमान अष्टक द्वारा कराया गया था। श्रीहनुमानाष्टक का पाठ करने से सभी प्रकार के रोग, दोष तथा प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है और हनुमान जी की कृपा की प्राप्ति होती है।
श्रीहनुमानाष्टक (Hanuman Ashtak) करने के फायदे
श्रीहनुमानाष्टक का नियमित पाठ करने से कई तरह के फायदे मिलते है. श्रीहनुमानाष्टक का पाठ करने से वेसे तो, यह सभी कष्टों को दूर करने वाले हैं, लेकिन हनुमान अष्टक का पाठ करने से मनुष्य को विशेष लाभ मिलते हैं जैसे –
- मनुष्य के जीवन में आत्मविश्वास और मनोबल की वृद्धि होती है.
- मनुष्य कभी भी किसी संकटों में नहीं पड़ता है और उसे संकटों से मुक्ति मिलती है.
- हनुमान अष्टक का पाठ करने से सुख और शांति बनी रहती है.
- रुके हुए कार्य हनुमान अष्टक करने से बनने लगते हैं.
- इसके माध्यम से कोई शत्रु आप पर हमला नहीं करता है, व शत्रुओं का निवारण होता है.
- हनुमान अष्टक का पाठ करने से ग्रहों की स्थिति में भी सुधार होता है.
हनुमान अष्टक का अर्थ क्या है?
हनुमान अष्टक को इस तरह से समझे, अष्टक, या अष्टकम, का शाब्दिक अर्थ है आठ और प्रार्थना में भगवान हनुमान की स्तुति में आठ छंद हैं और भजन दोहा के साथ समाप्त होता है। अधिकांश भगवान हनुमानजी मंदिरों में, हनुमान चालीसा के बाद इस संकटमोचन हनुमान अष्टक का जाप किया जाता है, जो विशेष फलदायी होता है.
हनुमान अष्टक की रचना किसने की?
संकट मोचन हनुमान अष्टक, जिसे हनुमान अष्टक के नाम से भी जाना जाता है, इसको गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लिखा गया था। इसके माध्यम से भगवान हनुमान की महिमा का वर्णन किया जाता है, इसमें आठ छंद हैं।
Sankat Mochan Hanuman Ashtak Lyrics in Hindi
॥ हनुमान अष्टक ॥
बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहां पगु धारो।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो।
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
रावन जुध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो।
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मंत्र विचारो।
जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
काज किए बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।
।। दोहा।।
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।।