Saraswati Vandana PDF | मां सरस्वतीजी की वंदना Saraswati Vandana With Lyrics
Saraswati Vandana PDF | मां सरस्वतीजी की वंदना Saraswati Vandana With Lyrics
Saraswati Vandana: मां सरस्वती को विद्यालय और बुद्धि की देवी माना जाता है। वहीं मां सरस्वती की वसंत पंचमी के दिन भी पूजा-अर्चना की जाती है और इस दिन को काफी विशेष महत्व भी होता है। बताया जाता है कि, इस दिन मां सरस्वती के मंत्र आरती और वंदना करने से सभी की मनोकामनाएं पूरी होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ शुक्ल पंचमी के दिन मनाया जाता है।
मां सरस्वतीजी की वंदना
वही अंग्रेजी वर्ष के अनुसार जनवरी या फरवरी में इस दिन को मनाया जाता है। यह साल बसंत पंचमी 16 फरवरी यानी को मनाई जाने वाली है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन ही ब्रह्मा जी के आशीर्वाद से मां सरस्वती जी प्रकट हुई थी। और इस दिन स्कूल कॉलेज और शैक्षणिक संस्थाओं में मां सरस्वती की पूजा अर्चना का काफी महत्व माना जाता है। इसी दिन पूजा के दौरान मंत्र भारती वंदना से सरस्वती जी की पाठ पूजा-अर्चना होती है।
वैसे तो मां सरस्वती जी की उपासना के कई तरीके है, और विश्व के कई प्राचीनतम साहित्य में मां सरस्वती की उपासना के अलग-अलग मंत्र दिए गए हैं और इन सभी में सरस्वती वंदना करने से माता की कृपा मिलती है। वही सबसे ज्यादा सरस्वती वंदना का महत्व होता है। आज का युग विज्ञान का युग के वर्तमान काल में हम उन्नति का रहस्य विद्या प्राप्ति में ही समझते हैं, जिसके पास विद्या बुद्धि और ज्ञान का प्रकाश अब आगे बढ़ता चला जाता है और इसी चीज को ध्यान में रखकर माता सरस्वती का स्मरण पूजन विशेष उपयोगी कहा गया है।
सरस्वती वंदना मन्त्र का महत्व
सरस्वती वंदना मन्त्र एक महत्वपूर्ण हिन्दू मन्त्र है, जिसे ज्ञान और समझ के लिए पाठ किया जाता है। हिन्दू धर्म को मानने वाले, गायक से लेकर वैज्ञानिक हर कोई मार्गदर्शन और ज्ञान के लिए सरस्वती देवी की पूजा आराधना करते है, सरस्वती देवी को मानने वाले उनके भक्त, सरस्वती वंदना मन्त्र को अच्छे भाग्य के लिए उसका पाठ करते है।
तेलगु में सरस्वती देवी को चादुवुला थल्ली एवं शारदा नाम से भी जानते है। कोंकणी भाषा में सरस्वती देवी को शारदा, वीनापानी, पुस्तका धारिणी, विद्यादायनी कहा गया है। कन्नड़ में सरस्वती के बहुत से नाम प्रख्यात है, जैसे शारदे, शारदाअम्बा, वाणी, वीनापानी आदि। तमिल भाषा में सरस्वती देवी को कलैमंगल, कलैवानी, वाणी, भारती नाम से जानते है। इसके अलावा सरस्वती देवी को पुस्तका धारणी, वकादेवी, वर्धनायाकी, सावत्री एवं गायत्री नाम से भी जानते है। नेपाल एवं भारत के अलावा सरस्वती देवी को बर्मीज़, तिपिताका भी कहते है।
मां सरस्वतीजी वंदना –
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥
अर्थ : जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें। ..
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥
अर्थ : जिनका रूप श्वेत है, जो ब्रह्मविचार की परम तत्व हैं, जो सब संसार में फैले रही हैं, जो हाथों में वीणा और पुस्तक धारण किये रहती हैं, अभय देती हैं, मूर्खतारूपी अन्धकार को दूर करती हैं, हाथ में स्फटिकमणि की माला लिए रहती हैं, कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और बुद्धि देनेवाली हैं, उन आद्या परमेश्वरी भगवती सरस्वती की मैं वन्दना करता हूँ । ..
सरस्वति नमौ नित्यं भद्रकाल्यै नमो नम: ।
वेद वेदान्त वेदांग विद्यास्थानेभ्यः एव च ।।
सरस्वति महाभागे विद्ये कमल लोचने ।
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्याम् देहि नमो अस्तु ते ।। ३ ।।
अर्थ – सरस्वती को नित्य नमस्कार है, भद्रकाली को नमस्कार है और वेद, वेदान्त, वेदांग तथा विद्याओं के स्थानों को प्रणाम है। हे महाभाग्यवती ज्ञानरूपा कमल के समान विशाल नेत्र वाली, ज्ञानदात्री सरस्वती ! मुझको विद्या दो, मैं आपको प्रणाम करता हूँ ।
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