सुश्रुत संहिता क्या है?

महर्षि सुश्रुत और सुश्रुत संहिता ग्रंथ PDF – Sushruta Samhita in Hindi Download

महर्षि सुश्रुत और सुश्रुत संहिता ग्रंथ PDF – Sushruta Samhita in Hindi Download

सुश्रुत संहिता क्या है?

सुश्रुत संहिता क्या है?

Sushruta Samhita in Hindi: आज हम आपके सामने महर्षि सुश्रुत द्वारा लिखी थी सुश्रुत संहिता लेकर आए हैं. इसके अंदर आपको शल्य चिकित्सा से जुड़े हुए सभी बातें बताई गई है. आपको बता दें कि सुश्रुत संहिता मुख्य रूप से शल्य चिकित्सा का ग्रंथ है जो कि, भारत का एक प्राचीन चिकित्सा ग्रंथ भी माना जाता है. इसके अंदर शल्य चिकित्सा के प्रकार और उससे संबंधित उपायों का वर्णन देखने को मिलते है. इसलिए आप सूरत का जीवन परिचय और संहिता ग्रंथ के बारे में विस्तार से पढ़ सकते हैं.

सुश्रुत संहिता के रचयिता प्राचीन भारत के प्रसिद्ध चिकित्साशास्त्री तथा शल्य चिकित्सक सुश्रुत ही है. सुश्रुत शल्य चिकित्सा के जनक माने जाते हैं। इस ग्रंथ में शल्य क्रियाओं के लिए आवश्यक यंत्रों (साधनों) तथा शस्त्रों (उपकरणों) का विस्तार से वर्णन किया गया है, ज्सिके मध्यम से शल्य चिकित्सक की कई अहम बातो की जानकारी आपको मिलती है.

सुश्रुत विश्‍व के पहले चिकित्‍सक

आपको जानकार हेरानी होगी की, सुश्रुत विश्‍व के पहले चिकित्‍सक थे, जिसने शल्‍य क्रिया ( Caesarean Operation ) का प्रचार किया। इसके पहले इसे कभी किसी ने नही किया है. वह शल्‍य क्रिया ही नहीं बल्कि वैद्यक की कई शाखाओं के विशेषज्ञ थे। इसके साथ ही वह टूटी हड्डियों के जोड़ने, मूत्र नलिका में पाई जाने वाली पथरी निकालने, शल्‍य क्रिया द्वारा प्रसव कराने एवं मोतियाबिंद की शल्‍य-चिकित्‍सा में भी दक्ष थे।

See also  Surya Mantra in Hindi जानिए सूर्य मंत्र जाप के लाभ एवं महत्व

इसमें बताया गया है, की वह शल्‍य क्रिया करने से पहले उपकरणों को गर्म करते थे, जिससे उपकरणों में लगे कीटाणु नष्‍ट हो जाएँ और रोगी को आपूति (एसेप्सिस) दोष न हो। शल्‍य क्रिया से पहले रोगी को मद्यपान कराने के साथ ही विशेष प्रकार की औषधियाँ भी देते थे। यह क्रिया संज्ञाहरण (Anaesthesia) के नाम से जानी जाती है। इससे रोगी को शल्‍य क्रिया के दौरान दर्द की अनुभूति नहीं होती थी और वे बिना किसी व्‍यवधान के अपना कार्य सम्‍पन्‍न कर लेते थे।

शल्‍य-चिकित्‍सा की परम्‍परा क्या है? (Surgery in Ancient India)

प्राचीन काल से हमारे देश में चिकित्‍सा की दो परम्‍पराएँ प्रचलित रही हैं जिसमे ‘काय-चिकित्‍सा’ एवं ‘शल्‍य-चिकित्‍सा’ शामिल है। यह दोनों ही औषधियों एवं उपचार के द्वारा चिकित्‍सा की परम्‍परा काय-चिकित्‍सा के नाम से जानी जाती है। लेकिन जो चिकित्‍सा शल्‍य क्रिया द्वारा सम्‍पन्‍न होती है, उसे शल्‍य-चिकित्‍सा कहते हैं। ‘शल्‍य’ शब्‍द आमतौर से शरीर में होने वाली पीड़ा के लिए इस्‍तेमाल में लाया जाता है। शस्‍त्रों और यंत्रों द्वारा के प्रयोग के द्वारा उस पीड़ा को दूर करने की जो प्रक्रिया है, वह शल्‍य-चिकित्‍सा के नाम से जानी जाती है।

सभी लोगों का यही मानना है कि भारत में चली आ रही चिकित्सा प्रणाली सबसे प्राचीन प्रणालियों में से एक है. इसी का उपयोग लोगों के इलाज करने के लिए आगे किया गया है. इसलिए पुराने जमाने की विद्वानों ने भी बताया है कि यह क्रिया ब्रह्मा के द्वारा प्राप्त ज्ञान से मिली है. इस संबंध में अभी धारणा है कि ब्रह्मा नहीं है, क्या प्रजापति को दिया था और प्रजापति नहीं अज्ञान अश्विनी कुमार के पास पहुंचाया वैदिक साहित्य में अश्विनी कुमार के चमत्कारिक उपचार के अनेक कथाएं भी उनको पढ़ने को मिल जाएगी.

See also  स्वामी विवेकानंद के अनमोल वचन PDF|  Swami Vivekananda Quotes PDF Download 

सुश्रुत द्वारा की गयी शल्य क्रियाएँ

‘सुश्रुत संहिता’ में आठ प्रकार की शल्य क्रियाओं का विवरण मिलता है, इसमें अलग अलग करिया के बारे में बताया गया है, जसमे शामिल है….

छेद्य (छेदन हेतु)

भेद्य (भेदन हेतु)

लेख्य (अलग करने हेतु)

वेध्य (शरीर में हानिकारक द्रव्य निकालने के लिए)

ऐष्य (नाड़ी में घाव ढूंढने के लिए)

अहार्य (हानिकारक उत्पत्तियों को निकालने के लिए)

विश्रव्य (द्रव निकालने के लिए)

सीव्य (घाव सिलने के लिए)

इस प्रसिद्ध ग्रंथ में शल्य क्रियाओं के लिए आवश्यक यंत्रों (साधनों) तथा शस्त्रों (उपकरणों) का भी विस्तार से वर्णन किया गया है। ग्रन्थ में 24 प्रकार के स्वास्तिकों, 2 प्रकार के संदसों, 28 प्रकार की शलाकाओं तथा 20 प्रकार की नाड़ियों का उल्लेख हुआ है। इनके अतिरिक्त मानव शरीर के प्रत्येक अंग की शस्त्र-क्रिया के लिए बीस प्रकार के शस्त्रों का भी वर्णन किया गया है। ऊपर जिन आठ प्रकार की शल्य क्रियाओं का संदर्भ आया है, वे विभिन्न साधनों व उपकरणों से की जाती थीं।

Sushruta Samhita in Hindi Download

Download link

Similar Posts