अपठित गद्यांश व पद्यांश अभ्यास कार्य | Unseen Passage PDF
अपठित गद्यांश व पद्यांश अभ्यास कार्य | Unseen Passage PDF
Unseen Passage: हम सभी को स्कूल में अपठित गद्यांश के बारे में जरूर पढ़ाया जाता है। हमने देखा है कि, परीक्षाओं के दृष्टिकोण से अपठित गद्यांश और पद्यांश काफी प्रमुख माने जाते हैं और इन अक्षर की तरह की परीक्षाओं में भी इनके बारे में पूछा जाता है।
अपठित गद्यांश किसे कहते हैं?
अपठित गद्यांश किसे कहते हैं?
हमें कई तरह के अपठित गद्यांश मिलते हैं और साथ ही इससे जुड़े हुए प्रश्न और उनके उत्तर भी मिलते हैं, जिसमें गद्यांश एवं पद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर देना होते हैं। संक्षेप में सार लेखन जैसा ही कार्य इसमें भी होता है। इसमें मूल भाव की रक्षा की जाती है और इसकी भाषा और शैली थोड़ी सरल होती है। इन दोनों में फर्क यह होता है कि, इस पर आधारित विभिन्न प्रकार के प्रश्न रहते हैं जिनका उत्तर देना होता है।
अपठित गद्यांश पद्यांश पर आधारित प्रश्न और उत्तर
अपठित गद्यांश भाव होते हैं ,जिनके बारे में कभी पढ़ा नहीं गया हुआ अपठित का अर्थ होता है जो पढ़ा नहीं गया या किसी पाठ्यक्रम के पुस्तकों से नहीं लिया जाता है। यह अर्थशास्त्र, साहित्य, विज्ञान, कला किसी भी विषय से हो सकता है। इससे संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। इसमें छात्रों का मानसिक व्यायाम होता है और उनके बारे में उनकी सामान्य ज्ञान की परीक्षा ली जाती है। इससे छात्रों की व्यक्तिगत योग्यता अभी व्यक्तियों की क्षमता भी बढ़ती है।
अपठित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों को हल करते समय किन बातों का ध्यान रखें
- गद्यांश के प्रश्नों का उत्तर देते समय उसकी भाषा सरल होनी चाहिए।
- गद्यांश पढ़ते समय उसके अंदर मौजूद मुख्य बातों को रेखांकित करना चाहिए।
- दिए गए गद्यांश को ध्यान से पड़ेगा कि आप उसका सही उत्तर दे पाएं।
- इस तरह के उत्तर सरल में संक्षिप्त होने चाहिए और अपनी भाषा में इसका उत्तर देना चाहिए।
- इस तरह के प्रश्नों का उत्तर कम से कम शब्दों में देने की कोशिश करें की गद्यांश में से ही उत्तर हो।
- उत्तर में जितना पूछा जाए केवल उतना हीं लिखना चाहिए, उससे ज़्यादा या कम तथा अनावश्यक नहीं होना चाहिए। अर्थात, उत्तर प्रसंग के अनुसार होना चाहिए।
- यदि गद्यांश का शीर्षक पूछा जाए तो शीर्षक गद्यांश के शुरु या अंत में छिपा रहता है।
- मूलभाव के आधार पर शीर्षक लिखना चाहिए।
शीर्षक का चुनाव कैसे करें
अपठित गद्यांश के उत्तर देते समय आपको सिर्फ सुनने में थोड़ी सावधानी रखना चाहिए और उसके लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सिर्फ करते समय ध्यान रखें कि मूल विषय से संबंधित उसका शीर्षक होना चाहिए। सर्वेक्षण संक्षिप्त आकर्षण तथा सार्थक होना चाहिए शीर्षक में अनुच्छेद से संबंधित सारे बाती आ जाने चाहिए।
नोट : बहुविकल्पी उत्तरों मे कई बार मिलते-जुलते अर्थ वाले विकल्प आ जाते है । ऐसे स्थिति मे प्रयुक्त शब्द की शक्ति, सीमा और अर्थ – भार पर ध्यान रखना चाहिए। स्वय से पूछना चाहिए कि क्या दिए गए उत्तर का सम्बन्ध पुरे अनुच्छेद से हैं, या उसमे कुछ कमी या अधिकता हैं। इस प्रकार आप ठीक उत्तर का चुनाव कर सकेगे।
अपठित गद्यांश का उद्देश्य
अपठित गद्यांश का मुख्य उद्देश्य छात्रों की बुद्धि गहराई की जांच करना होता है। इसमें छात्रों की बौद्धिक गहराई की जांच कर उनके द्वारा निकाले गए अर्थों की जांच की जाती है, जिससे कि 1 की बुद्धि शक्ति का परीक्षण किया जा सके। इसके साथ ही वार्षिक सुंदरी की भी पारक इन पठित गद्यांश के माध्यम से हो जाती है, जिससे की भाषा संबंधी पहलुओं का अच्छी तरह से पड़ताल की जा सके और उनके विचारों का विश्लेषण और व्याख्यान भी करने की क्षमता को भी परखा जा सके।
अपठित गद्यांश
अपठित गद्यांश 1
बहुत समय पहले, एक मनुष्य न अकस्मात दो पत्थरों को इकट्ठा कर रगड़ा और आग पैदा की | इस प्रकार उसने एक लाभदायक खोज की ; परन्तु हम इस मनुष्य का नाम नहीं जानते है | मनुष्य एक बेघर बिचरनेवाला प्राणी था जो कि अपने खाने की खोज में एक स्थान से दूसरे स्थान जाता रहता था | किसी खेती-बाड़ी की खोज की | इससे मनुष्य के रहने के ढंग में एक महान परिवर्तन आया | अब उसे भोजन की खोज में इधर-उधर भटकने की आवश्यकता नहीं थी | काफी समय के पश्चात किसी ने पहिये का आविष्कार किया | आजकल साइकिलें, कारे तथा बसें ऐसे प्रयोग में लाते है |
प्रश्न 1. बहुत समय पहले मनुष्य द्वारा किये गए खोजों और आविष्कारों के नाम लिखे |
उत्तर 1. मनुष्य की मुख्य खोजें आविष्कार है – आग, खेती-बाड़ी और पहिया |
प्रश्न 2. मनुष्य के रहने के ढंगों में कौन-सी खोज महान परिवर्तन लायी ?
उत्तर 2. खेती बाड़ी की खोज मनुष्य जीवन एवं रहन सहन में महान परिवर्तन लायी थी।
प्रश्न 3. किसान बन जाने के बाद मनुष्य ने एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटकना क्यों बंद कर दिया ?
उत्तर 3. किसान बन जाने के बाद मनुष्य ने एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटकना क्यों बंद किया कि उसने अपनी आवश्यकता के लिए स्वयं अनाज उगाना आरम्भ कर दिया था |
प्रश्न 4. पहिये के आविष्कार का आज क्या महत्व है ?
उत्तर 4. पहिये का प्रयोग साइकिलों, कारों, बसों, रेलों आदि में किया जाता है इससे आज इसका महत्व काफी बढ़ गया है |
अपठित गद्यांश 2
प्राचीन काल में जनक महाराज विदेह में राज्य करते थे | मिथिला विदेह की राजधानी थी | मिथिला नगरी में राजमहल आस-पास कोई एक हजार संन्यासियों की पर्णकुटियाँ थी | मिथिला के सिंहासन पर बैठने पर भी महाराज जनक को फकीरी का शौक था | कहा जाता है कि महाराज जनक ज्ञानी थे | वे इस पढ़ राज काज चलते थे, मनो स्वयं परमात्मा के विनयशील सेवक है | सुबह से सायं तक सरे राज्य का प्रबंध करते, शत्रुओं का पता करते, अपराधी को दण्ड देते, लोक-कल्याण के उपाय करते और इतना सब कुछ करने पर भी वे किसी सांसारिक कार्य में लिप्त नहीं होते थे | इसलिए लोग उनको विदेह जनक कहते थे|
प्रश्न 1. विदेह की राजधानी कहाँ थी?
उत्तर 1. विदेह की राजधानी मिथिला थी |
प्रश्न 2. राजमहल के आसपास किन लोगों की कुटियाँ थीं ?
उत्तर 2. राजमहल के आस-पास संन्यासियों की कुटियाँ थीं |
प्रश्न 3. महाराज जनक को क्या शौक था ?
उत्तर 3. महाराज जनक को फकीरी का शौक था |
प्रश्न 4. महाराज जनक परमात्मा से अपना क्या संबंध रखते थे ?
उत्तर 4. महाराज जनक का परमात्मा संबंध सेवक जैसा था |
प्रश्न 5. महाराज जनक राज्य चलाने के लिए क्या-क्या कार्य करते थे ?
उत्तर 5. महाराज जनक राज्य चलाने के लिए निम्नलिखित कार्य करते थे |
राज्य का प्रबंध करना |
शत्रुओं का पता एवं अपराधियों को दंड देना |
लोक-कल्याण के उपाय करना |
अपठित गद्यांश 3
फ्रांस के प्रसिद्ध दार्शनिक *रोमरोलां ने कहा था कि पूर्व में एक भयंकर आग लगी है जो की वहाँ के अंध विश्वाश एवं कुरीतियों रूपी झाड़-झखाड़ो को दग्ध* करती हुई शीघ्र ही पाश्चात्य को भी अपनी चपेट में लेने वाली है | रोमरोलां का संकेत* स्पष्ट रूप से दयानन्द सरस्वती की और था जो कि भारतीय जन-जागरण के पुरोधा* के रूप में उभरकर सामने आए थे |
प्रश्न 1. उपर्युक्त गद्यांश में से रेखांकित शब्दों के विपरीतार्थक शब्द लिखिए |
प्रश्न 2. तारांकित (तारों के निशान वाले) शब्दों का अर्थ स्पष्ट कीजिए |
उत्तर 1.
आग – पानी
शीघ्र – विलंब
स्पष्ट – अस्पष्ट
भारतीय – अभारतीय
उत्तर 2.
दार्शनिक – दर्शन – शास्त्र का ज्ञाता
दग्ध – जला / झुलसा का ज्ञाता
संकेत – इशारा
पुरोधा – पुरोहित