वीर सावरकर की जीवनी PDF, वीर सावरकर से जुड़ी कुछ खास बातें और उनकी काला पानी की सजा
वीर सावरकर की जीवनी PDF, वीर सावरकर से जुड़ी कुछ खास बातें और उनकी काला पानी की सजा
Veer Savarkar: आज के समय में इतिहास से जुड़े कई नाम सामने आते हैं, जिनमें से एक वीर सावरकर का नाम भी सामने आता है, लेकिन कई बार इस नाम को लेकर काफी चर्चाएं होती रहती है और इनके नाम को सुनते ही कई लोग इन्हें हीरो मानते हैं तो कई लोग इन्हें विलेन के चेहरे के रूप में भी देखते हैं।
यह एक हिंदुत्ववादी नेता रहे हैं, जिनका जन्म 1983 में हुआ था। वीर सावरकर कौन थे और किस कारण से विख्यात थे आज हम आपको इस आर्टिकल में बताने वाले हैं।
कौन थे वीर सावरकर? (Who Was Veer Savarkar?
वीर सावरकर के बारे में बताये तो, यह एक ब्राह्मण हिंदू परिवार में जन्मे थे। उनके भाई-बहन गणेश, मैनाबाई और नारायण थे। वह अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते थे और यही कारण था कि उन्हें ‘वीर’ कहकर बुलाया जाने लगा। सावरकर अपने बड़े भाई गणेश से बेहद प्रभावित थे, जिन्होंने उनके जीवन में प्रभावशाली भूमिका निभाई थी। वीर सावरकर ने ‘मित्र मेला’ के नाम से एक संगठन की स्थापना की जिसने लोगों को भारत की ‘पूर्ण राजनीतिक स्वतंत्रता’ के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।
12 साल की उम्र में सावरकर ने हिन्दू-मुस्लिम दंगों के दौरान छात्रों के एक समूह के साथ मुसलमानों की भीड़ को भगा दिया| कुछ इतिहास वेत्ता मुस्लिम लड़कों द्वारा किये गए उत्पात को इसकी वजह मानते हैं| इस घटना के पश्चात उन्हें वीर साहसी व्यक्ति का उपनाम दे दिया गया|
वीर सावरकर का क्रांतिकारी जीवन
वीर सावरकर युवावस्था में एक पूर्ण क्रांतिकारी बन गए, वे कट्टरपंथी राजनीतिक नेताओं जैसे- बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय तथा बिपिन चंद्र पाल से प्रेरित थे। उन्होंने अपनी डिग्री पूरी करने के लिए पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज में दाखिला लिया, जहा कानून का अध्ययन करने के लिए उन्हें इंग्लैंड में भी रहना पड़ा है। श्यामजी कृष्ण वर्मा ने उन्हें इंग्लैंड भेजने और अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने में मदद की। उन्होंने वहां ‘ग्रेज इन लॉ कॉलेज’ में दाखिला लिया और ‘इंडिया हाउस’ में शरण ली। यह उत्तरी लंदन में एक छात्र निवास था। लंदन में वीर सावरकर ने अपने साथी भारतीय छात्रों को स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए एक संगठन ‘फ्री इंडिया सोसाइटी’ का गठन किया।
वीर सावरकर की गिरफ्तारी
स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के कारण वीर सावरकर की ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तारी कर ली गयी थी। इसके साथ ही भारतीय में किये ग्रेजुएशन की डिग्री वापस ले ली, जून 1906 में वे बैरिस्टर बनने के लिए लंदन गए। जब वे लंदन में थे, तो उन्होंने इंग्लैंड में भारतीय छात्रों को ब्रिटिश औपनिवेशिक आकाओं के खिलाफ प्रोत्साहित किया। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हथियारों के इस्तेमाल का समर्थन किया।
उसके बाद उन्हें 13 मार्च 1910 को उन्हें लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया और मुकदमे के लिए भारत भेज दिया गया। इसके बाद जब उन्हें ले जाने वाला जहाज फ्रांस के मार्सिले पहुंचा, तो सावरकर भाग गए, लेकिन फ्रांसीसी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। 24 दिसंबर 1910 को उन्हें अंडमान में जेल की सजा सुनाई गई थी, उन्होंने जेल में बंद अनपढ़ केदियो को शिक्षा देने की भी कोशिश की थी।
सावरकर को हुई कालापानी की सजा
उस समय सावरकर के भाई गणेश ने इंडियन काउंसिल्स एक्ट 1909 के खिलाफ भारत में विरोध प्रदर्शन किया था| जहा ब्रिटिश पुलिस ने विरोध के बाद यह दावा किया कि अपराध की साजिश वीर सावरकर ने रची थी| उसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
वीर सावरकर गिरफ्तारी से बचने के लिए पेरिस भाग गए, उन्होंने वहां भिकाजी कामा के निवास स्थान पर शरण ली, लेकिन 13 मार्च सन 1910 को ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। अदालत ने सावरकर के खिलाफ फैसला सुनाया | उन्हें 50 साल की कैद की सजा सुनाई गई| उन्हें 4 जुलाई सन 1911 को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ले जाया गया, जहा पर कुख्यात काला पानी नामक सेलुलर जेल में बंद कर दिया गया|